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By NI Editorial
अमेरिका की नजर में असल चुनौती चीन है। अमेरिका की नई नीति के संकेत वहां आई अध्ययन रिपोर्ट से भी मिला है। उसमें सिफारिश की गई है कि अमेरिका को पाकिस्तान की मदद करनी चाहिए ताकि उसकी चीन पर निर्भरता ना बढ़े।
पाकिस्तान के प्रति अमेरिका की नीति बदल रही है। इस बात के कई संकेत हाल में मिले हैं। दरअसल, अब अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को लगभग भारत से अपने संबंधों के बराबर दर्जा दे दिया है। इस बात का संकेत हाल में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस की टिप्पणी से मिला। अब यह सामने आया है कि ये बदलाव भारत को कोई संकेत देने के लिए या फौरी तौर पर उठाए जा रहे कदमों का हिस्सा नहीं है। बल्कि इसके पीछे एक रणनीति है। अमेरिका की नजर में असल चुनौती चीन है। अमेरिका की नई नीति के संकेत वहां विशेषज्ञों के एक दल की इससे संबंधित एक अध्ययन रिपोर्ट से भी मिला है। उसमें सिफारिश की गई है कि अमेरिका को पाकिस्तान की मदद करनी चाहिए ताकि उसकी चीन पर निर्भरता ना बढ़े। इस हफ्ते को पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की वॉशिंगटन यात्रा से ठीक पहले यह अध्ययन जारी किया गया। एक हफ्ता पहले ही देश के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी अमेरिका के दौरे पर थे। ताजा अध्ययन रिपोर्ट को तैयार करने वालों में पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत रहे रयान क्रॉकर, कैमरन मंटर और रॉबिन राफेल शामिल थे।
अपने अध्ययन में विशेषज्ञों ने सिफारिश की है कि दोनों मुल्कों को मतभेद भुलाकर साथ आना चाहिए। रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका को पाकिस्तान में मदद का इस्तेमाल वहां की नीतियां बदलने की रणनीति के रूप में करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह रणनीति विफल साबित हुई है। उधर पाकिस्तान को यह बात स्वीकार करने की सलाह दी गई है कि उसकी सारी समस्याएं, खासकर आतंकवाद और उग्रवाद अमेरिका के मत्थे नहीं मढ़ी जा सकतीं। इन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जैसे पहले अमेरिका पाकिस्तान को अफगानिस्तान या भारत के साथ रिश्तों के संदर्भ में देखता रहा है, वैसा ही अब चीन के मामले में ना करे और पाकिस्तान को चीन के नजरिये से ना देखे। इसके बजाय अमेरिका को चीनी कर्जों के संदर्भ में पाकिस्तान की मदद करनी चाहिए" और अमेरिकी कंपनियों को भी वहां निवेश के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि उसकी चीन पर निर्भरता कम हो सके।
Gulabi Jagat
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