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- पुलिस हमारी जिंदाबाद
हमारे यहां पुलिस का बड़ा महत्त्व है। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए इसकी आवश्यकता आजादी के बाद निरंतर महसूस की गई। आजाद भारत के नागरिकों में स्वाभाविक रूप से एक अराजकता पनपनी थी, इसलिए व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल भी बढ़ाया जाना लाजिमी तौर पर जरूरी था। पुलिस बल की वृद्धि के साथ ही अपराधियों, हत्यारों, आतंकवादियों तथा बलात्कारियों की संख्या में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हुई। जनता को लगा कि जिस अनुपात से पुलिस बल बढ़ रहा है, उस अनुपात से अपराध नहीं बढ़ रहे, इसलिए ऐसे-ऐसे दिलेर लोग सामने आए जो पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं थे। बेचारे पुलिस वाले भी हमारी तरह ही थे, सो उन्होंने बीच का रास्ता निकाला कि सांप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटे। उन्होंने माफिया सरदारों को बुलाया और कहा-'देखो भाई, हम एक-दूसरे के पूरक हैं। एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। तुम सांपनाथ तो हम नागनाथ! इसलिए ऐसी ढ़ब बैठाओ कि जनता की आंखों में धूल झोंकी जा सके ताकि जनता को तुम भी लूटो और हम भी लूटें। घोड़ा घास से यारी करे तो खाये क्या? इसलिए इसके सिर के तमाम बाल पूरी जुगल से लूट लो।'