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- पुलिस अफसरों के तर्क
प्रधानमंत्री सुरक्षा चूक का मामला राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पीएम मोदी से पूरी जानकारी ली। दोनों संवैधानिक शीर्षों के बीच क्या संवाद हुआ, उसका सारांश भी सार्वजनिक नहीं किया गया है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी पीएम से बात कर सुरक्षा चूक पर गंभीर चिंता जताई है। उनका आग्रह है कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सर्वोच्च अदालत ने भी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की है। इनके अलावा, देश के 27 पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर इसे 'खतरनाक', 'भयानक' और 'व्यापक' लापरवाही करार दिया है। अधिकतर आईपीएस अफसर एसपीजी, गुप्तचर ब्यूरो, रॉ और आंतरिक सुरक्षा आदि में सेवाएं दे चुके हैं, लिहाजा सुरक्षा चूक का मर्म समझते हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा का अनुभव उनका अपना है, जो राजनीतिक बयानबाजी और कुतर्कों से भिन्न है। उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि गंभीर जांच कराई जाए और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कड़ी, दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। पूर्व आईपीएस अधिकारियों का मत है कि पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को तलब कर उनके तबादले तुरंत प्रभाव से होने चाहिए। उनसे सवाल किए जाएं कि प्रधानमंत्री प्रवास और रूट के दौरान वे कहां थे? पीएम काफिले के साथ क्यों नहीं थे?