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- पुलिस की दोषी परीक्षा

अंततः पुलिस भर्ती का पटाक्षेप फिर से बेरोजगारों को मायूसी दे गया और एक लंबी प्रक्रिया इस कद्र दुर्घटनाग्रस्त हुई कि अब फिर से लिखित परीक्षा करवाई जाएगी। पेपर लीक होने का मामला फिर उन्हीं कंदराओं में उलझा हुआ मिला, जहां ऐसी भर्तियां अपने पैमाने साबित नहीं कर पातीं। पेपर चुराए गए, लाखों के बिके और कुछ के भाग्य चमका गए। आश्चर्य यह कि दसवीं की योग्यता से आगे निकल कर कुछ छात्र पुलिस भर्ती की मैरिट में आ गए, तो मामला संगीन है और शर्मसार करता है। बहरहाल परीक्षा रद्द हो गई, लेकिन पूरी प्रक्रिया ने कई उम्मीदवारों की महत्त्वाकांक्षा को सूली पर चढ़ा दिया। परीक्षा में बैठे 74 हजार अभ्यर्थियों में सभी दोषी नहीं होंगे, लेकिन एक दोषी परीक्षा ने अधिकांश की ईमानदारी का भी सिर झुका दिया। गनीमत यह कि परीक्षा अपने पाप से बच गई, वरना भर्ती होने वालों में कितने युवा ऐसी खरीद फरोख्त करके नौकरी हथियाने के षड्यंत्र के सूत्रधार बन चुके होते। हर बार कालिख की कब्र पर मर्यादा का शव दफनाते किस्से, आखिर हिमाचल की करवटों में क्यों बेलगाम हो रहे हैं। आश्चर्य यह कि जिस पुलिस की बुनियाद पर हम कानून-व्यवस्था में नो टॉलरेंस का ढिंढोरा पीटते हैं, उसके भीतर प्रवेश करने की नीयत में खोट इस कद्र बेखौफ हो गया। अगर पेपर लीक हुए, तो जाहिर तौर पर यह पुलिस फाइल की चोरी या उसकी छाती पर चढ़कर सीनाजोरी हुई है।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचलीl
