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मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली: अंतत: भोपाल और इंदौर को अपने पुलिस कमिश्नर मिल गए। अब इन दोनों अधिकारियों पर जिम्मेदारी होगी कि वे अपने अधिकारों का तेजी और ताकत के साथ उपयोग करें और प्रदेश के दोनों प्रमुख शहरों में अपराध कम करके दिखाएं। राजधानी भोपाल व प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में पुलिस कमिश्नरों की नियुक्ति के साथ ही अब पुलिस विभाग के पास इन श्ाहरों में अपराध पर नियंत्रण को लेकर कोई बहाना नहीं बचा। अब तक यह होता रहा है कि जब भी अपराध बढ़े, पुलिस विभाग की ओर से दबी जुबान में यह सवाल उठाया गया कि 'हमारे हाथों में ज्यादा कुछ नहीं। इस सवाल का इशारा आइएएस अफसरों के पास निहित मजिस्ट्रियल अधिकारों की ओर होता रहा और इसी की आड़ में पुलिस विभाग अन्यमनस्क मन:स्थिति में बना रहा। किंतु अब पुलिस कमिश्नरों की नियुक्ति के साथ ही यह अन्यमनस्कता टूटनी चाहिए। अब यह तय हो चुका है कि यदि भोपाल में अपराध बढ़े तो नव-नियुक्त पुलिस कमिश्नर मकरंद देउुस्कर और इंदौर में अपराध बढ़े तो हरिनारायण्ााचारी मिश्र से सवाल पूछे जाएंगे। अब इन दोनों बड़े श्ाहरों में अपराधों पर नियंत्रण की कमान, अधिकार, उत्तरदायित्व, जिम्मेदारी...सबकुछ इन दोनों अफसरों पर है।
नई दुनिया