सम्पादकीय

पीएम की सुरक्षा में चूक: केंद्र बनाम राज्य

Rani Sahu
7 Jan 2022 12:53 PM GMT
पीएम की सुरक्षा में चूक: केंद्र बनाम राज्य
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पंजाब के फिरोजपुर में एक रैली को संबोधित करने जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा व्यवस्था में बुधवार को जिस तरह की गंभीर चूक सामने आई

पंजाब के फिरोजपुर में एक रैली को संबोधित करने जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा व्यवस्था में बुधवार को जिस तरह की गंभीर चूक सामने आई, वह किसी को भी हैरत में डाल सकती है। बठिंडा से सड़क मार्ग से फिरोजपुर जाते हुए एक फ्लाइओवर पर प्रधानमंत्री के काफिले को रुक जाना पड़ा क्योंकि आगे प्रदर्शनकारी किसानों ने सड़क जाम कर रखी थी। बीस मिनट तक इंतजार करते रहने के बावजूद सड़क खाली नहीं करवाई जा सकी और प्रधानमंत्री को वहीं से लौट आना पड़ा। देश में आज तक किसी भी प्रधानमंत्री की किसी यात्रा के साथ इस तरह की गफलत नहीं देखी गई। यह सच है कि खराब मौसम के कारण प्रधानमंत्री को हेलिकॉप्टर से जाने का इरादा छोड़ना पड़ा और आखिरी पलों में बठिंडा से फिरोजपुर तक की करीब 110 किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग से तय करने का फैसला किया गया। लेकिन प्रधानमंत्री के हर दौरे की तैयारी काफी पहले से शुरू हो जाती है और कई वैकल्पिक मार्गों पर विचार उस तैयारी का हिस्सा होता है। इसलिए रूट का अचानक बदला जाना इस चूक का कोई स्पष्टीकरण नहीं हो सकता। यह हर हाल में अक्षम्य है।

मगर इस चूक से ज्यादा अफसोसजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है इससे निपटने का अंदाज। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने बयान में इसे प्रधानमंत्री की हत्या करने की कांग्रेस की खूनी साजिश करार दिया। खुद प्रधानमंत्री को यह कहते बताया गया कि अपने मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहिएगा, मैं जिंदा वापस जा रहा हूं। अभी तक सरकार की तरफ से इस बयान का कोई खंडन नहीं आया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए महामृत्युंजय जाप करवाने में लग गए। यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के सवाल को एक राजनीतिक मुद्दा बनाकर हर तरफ से पंजाब की कांग्रेस सरकार को घेरने की कवायद शुरू हो गई। दूसरी तरफ पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पहले बयान में ही कह दिया कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई है। कांग्रेस कह रही है कि प्रधानमंत्री की प्रस्तावित फिरोजपुर रैली में सारी कुर्सियां खाली पड़ी हुई थीं, लोग आए ही नहीं थे। इसलिए सुरक्षा का बहाना बनाकर प्रधानमंत्री ने रैली में जाना टाल दिया और उस बात की ओर से ध्यान हटाने के लिए सुरक्षा चूक को लेकर हंगामा खड़ा किया जा रहा है।
जाहिर है, दोनों पक्षों के इस तरह का रुख अपना लेने के बाद अब जांच-पड़ताल से भी किसी सर्वमान्य निष्कर्ष की उम्मीद नहीं की जा सकती। प्रधानमंत्री की सुरक्षा केंद्रीय और राज्यों की एजेंसियों के बीच पूर्ण तालमेल के साथ सुनिश्चित की जाती रही है। इसे केंद्र बनाम राज्य विवाद का रूप देकर कुछ हासिल नहीं होगा। देश अपना एक प्रधानमंत्री और एक पूर्व-प्रधानमंत्री गंवा चुका है। ऐसे में प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर इस तरह की राजनीति देखना वाकई त्रासद है।
नवभारत टाइम्स
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