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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले कुछ दिनों में पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर प्रचार करेंगे
एम हसन.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अगले कुछ दिनों में पूर्वी उत्तर प्रदेश (पूर्वांचल) (Uttar Pradesh) में बड़े पैमाने पर प्रचार करेंगे. इस प्रचार का मकसद है कि अंतिम चरण 7 मार्च को होने वाली सीटों पर बीजेपी की स्थिति को मजबूत करना. वे अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में रहेंगे ताकि पूर्वांचल (Purvanchal) के इलाकों में आसानी से प्रचार कर सकें. पूर्वांचल एक ऐसा क्षेत्र है जो बीजेपी के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है. बीजेपी के अन्य शीर्ष नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वी यूपी के काशी क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करने वाले हैं जहां सत्ता की लड़ाई तेज हो गई है.
इसी तरह, समाजवादी पार्टी ने भी 3 मार्च को वाराणसी में बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया था. एसपी प्रमुख अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के प्रमुख जयंत चौधरी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के ओम प्रकाश राजभर और अपना दल (कमेरावादी) के कृष्णा पटेल जैसे गठबंधन के नेता वाराणसी में एसपी की मेगा सभा में शामिल हुए. यूपी चुनाव के अंतिम चरण में पहुंचने के बाद एसपी की यह पहली ऐसी बड़ी संयुक्त रैली थी.
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बीजेपी के लिए एक प्रमुख चुनावी मुद्दा
हिंदुत्व की राजनीति का केंद्र अयोध्या अगर चुनाव के पांचवें दौर में फोकस में था, तो काशी (वाराणसी) सीधे-सीधे बीजेपी और एसपी के बीच जंग का मैदान बन गया है. गौरतलब है कि काशी में मोदी ने पिछले सात वर्षों के दौरान अपनी राजनीतिक पूंजी का काफी बड़ा हिस्सा निवेश किया है. सामान्य विकास के अलावा, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (KVC) का सौंदर्यीकरण बीजेपी के लिए एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है.
हाल ही में मोदी ने वाराणसी में कहा, "मैं काशी में सचमुच बहुत खुश हूं और यहां मेरा मन शांत है. मुझे लगता है कि मेरे विरोधी अब देख रहे हैं कि काशी के लोगों में मेरे लिए कितना प्यार है." उन्होंने आगे कहा, "मेरा मानना है कि अगर काशी की सेवा करते हुए मरना मेरे लिए नियति है और अगर मैं भोले बाबा (विश्वनाथ मंदिर के पीठासीन देवता) के भक्तों की सेवा करते हुए इस दुनिया को छोड़ दूं तो इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है." भगवा ब्रिगेड के लिए अयोध्या की तरह काशी भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. साल 2017 में बीजेपी ने अपने सहयोगियों अपना दल (सोनेलाल) और सुभासपा के साथ मिलकर सभी आठ सीटों पर जीत हासिल की थी.
इन आठ सीटों में बीजेपी को छह सीटें मिली थीं जबकि अपना दल और सुभासपा को एक-एक सीट हासिल हुई थी. इस बार सुभासपा ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है. काशी ने हमेशा पूरे पूर्वी यूपी सेक्टर को एक मजबूत राजनीतिक संदेश भेजा है और शेष बचे हुए 111 निर्वाचन क्षेत्रों में से बीजेपी ने 75 सीटों पर जीत हासिल की थी. इन 111 सीटों पर छठे और सातवें चरण में मतदान की तारीख 3 और 7 मार्च है. 75 सीटों पर अपनी जीत के बदौलत ही 2017 में बीजेपी अपनी जीत को 324 के आंकड़े तक पहुंचा पाई थी.
बीजेपी ने बाबा विश्वनाथ मंदिर को रैली का केंद्र बनाया
सातवें चरण की कुल 54 सीटों में से बीजेपी और उसके सहयोगियों ने 36 सीटें जीती थीं, जबकि 11 सीटें एसपी, 5 बीएसपी और एक निषाद पार्टी को हासिल हुई थी. इसी तरह छठे चरण (3 मार्च) की 57 सीटों पर बीजेपी ने 48, बीएसपी ने 5, एसपी ने 2 और अन्य ने दो पर जीत हासिल की थी. यह बीजेपी के लिए पूर्वांचल के महत्व को रेखांकित करता है साथ ही ये भी बताता है कि अगले कुछ दिनों के दौरान मोदी इन इलाकों में क्यों इतना व्यापक प्रचार कर रहे हैं. बीजेपी ने पिछले चुनावों में ओबीसी और एमबीसी के जाति गठबंधन को मजबूती से खड़ा किया था. बाद में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा खाद्यान्न और अन्य खाद्य वस्तुओं को वितरित करने के फैसले से जाति का ये गठबंधन और मजबूत हो गया. पिछले पांच वर्षों के दौरान आवास सुविधाओं, उज्जवल योजना और एलपीजी सिलेंडरों के वितरण ने भी मदद की.
मोदी-योगी सरकारों की 'राशन और आवास की राजनीति' से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग जिन्होंने इन कार्यक्रमों का फायदा उठाया है उन्हें 'लाभार्थी समूह' के रूप में जाना जाने लगा है. अत्यधिक गरीबी से जूझ रहे पूर्वी उत्तर प्रदेश में अब बीजेपी उनके समर्थन पर निर्भर है. बहरहाल, इन तमाम कोशिशों के बावजूद, समाजवादी पार्टी की सुभासपा, अपना दल (कमेरावादी) और जनवादी पार्टी जैसे छोटे समूहों को लेकर बना जातिगत गठबंधन इस क्षेत्र में बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर रहा है. ऐसा लगता है कि हालात अब इस हद तक पहुंच गए हैं कि वाराणसी की आठ सीटें, जिन पर पार्टी ने 2017 में जीत हासिल की थी, अब काफी दबाव में हैं.
वाराणसी दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र, जिसमें बाबा विश्वनाथ मंदिर का क्षेत्र भी शामिल है, पिछले दो दशकों से बीजेपी का मजबूत गढ़ रहा है. लेकिन इस बार मौजूदा विधायक और मंत्री नीलकंठ तिवारी के लिए ये आसान नहीं होने जा रहा है जिनके खिलाफ एसपी के किशन दीक्षित चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस ने मुदिता कपूर और बीएसपी ने दिनेश कसुधन को मैदान में उतारा है. दरअसल, अयोध्या सदर सीट पर राम मंदिर का जो महत्व है वही बाबा विशवनाथ मंदिर का वाराणसी दक्षिण क्षेत्र के लिए है. बीजेपी ने बाबा विश्वनाथ मंदिर को रैली का केंद्र बनाया और कतई इसे खोना नहीं चाहेगी.
काशी क्षेत्र में मिर्जापुर, गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर शामिल हैं. और इस इलाके में बीजेपी और एसपी के बीच "करो या मरो" वाला मुकाबला है, साथ ही दोनों पक्षों के गठबंधन सहयोगियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है. केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाली अपना दल (एस) अन्तिम दो चरणों में आठ सीटों पर चुनाव लड़ रही है. एसपी की सहयोगी सुभासपा 18 सीटों पर और अपना दल (कमेरावादी) छह सीटों पर चुनाव लड़ रही है. फिलहाल इस चुनाव के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल होगा जब तक मतदान पूरा न हो जाए.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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