- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- मन की बात कार्यक्रम...
सम्पादकीय
मन की बात कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी- विश्व बाजार में देसी उत्पादों की बढ़ती मांग
Gulabi Jagat
28 March 2022 7:39 AM GMT
x
विश्व बाजार में देसी उत्पादों की बढ़ती मांग
प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में विश्व में भारतीय वस्तुओं की बढ़ती मांग का जो उल्लेख किया, वह एक वास्तविकता है और इसकी पुष्टि हाल में चार सौ अरब डालर के निर्यात का लक्ष्य हासिल करने से होती है। नि:संदेह यह भारत की बढ़ती क्षमता का परिचायक है, लेकिन अभी उसे और बढ़ाने की आवश्यकता है। इस आवश्यकता की पूर्ति हेतु लोकल के लिए वोकल अभियान के तहत स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने की बात एक लंबे समय से की जा रही है।
देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसा किया ही जाना चाहिए, लेकिन घरेलू बाजार के साथ विश्व बाजार में देसी उत्पादों की मांग अपेक्षा के अनुरूप तब बढ़ेगी, जब उनकी गुणवत्ता बढ़ेगी और वे उत्पादकता के मामले में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में खरे उतरेंगे। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस दिशा में अभी बहुत काम करना शेष है। वास्तव में उन कारणों की तह तक जाने की जरूरत है, जिनके चलते अनेक ऐसे चीनी उत्पादों की भारत में खपत हो रही है, जिन्हें आसानी से देश में बनाने-खपाने के साथ उनका निर्यात भी किया जा सकता है।
यह सामथ्र्य तभी बढ़ सकती है, जब देसी उत्पादों की गुणवत्ता विश्वस्तरीय बनाने के लिए सरकार के स्तर पर कोई प्रभावी अभियान छिड़े और उसके तहत शोध एवं अनुसंधान को प्राथमिकता दी जाए। इस क्रम में सरकार को रोजगार के अवसर पैदा करने वाले छोटे और मझोले उद्योगों की विशेष रूप से मदद करनी होगी। ऐसा करके ही एक जिला-एक उत्पाद और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं को सफल बनाया जा सकता है। इस तरह की योजनाओं को सफल बनाने के लिए जितना केंद्र सरकार को सक्रिय होना होगा, उतना ही राज्य सरकारों को भी।
यह सही समय है कि राज्यों के स्तर पर ऐसे शोध एवं अनुसंधान केंद्र स्थापित हों, जिनका एकमात्र उद्देश्य स्थानीय उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाना और उद्यमियों की समस्याओं का समाधान करना हो। हमारे उद्यमियों को भी यह समझना होगा कि अपने उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाए बिना वे विश्व बाजार में स्थान नहीं बना सकते। एक ऐसे समय जब दुनिया के तमाम देश चीनी उत्पादों पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं, तब यह स्थिति भारत के लिए एक अवसर है। इस अवसर को भुनाने के लिए कुछ कदम अवश्य उठाए गए हैं, लेकिन अभी अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए हैं और इसी कारण भारत स्वयं को निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित नहीं कर पा रहा है।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat
Next Story