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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) चीन की चालबाजी से वाकिफ थे इसलिए उन्होंने उसके मंसूबों पर पानी फेरने की पूरी प्लानिंग कर ली
विवेक त्रिपाठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) चीन की चालबाजी से वाकिफ थे इसलिए उन्होंने उसके मंसूबों पर पानी फेरने की पूरी प्लानिंग कर ली. 2018 में शांगरी-ला वार्ता में पीएम मोदी ने हिंद महासागर (Indian Ocean) के खतरे से दुनिया को आगाह किया था, अपने भाषण में उन्होंने हिंद महासागर की सुरक्षा पर जोर दिया था. फिर क्या था क्वॉड समूह एक्टिव हो गया और चीन को मिर्ची लगने लगी.
प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका (America) दौरे पर कई मुद्दों को लेकर चर्चा हो रही है, लेकिन एक जरूरी मुद्दा हिंद महासागर की सुरक्षा भी है. दुनिया जानती है कि चीन (China) एक विस्तारवादी देश है. चीन पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता. ऐसे में पीएम मोदी का फोकस होगा कि हिंद महासागर और प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) के इलाके को पूरी तरह सुरक्षित किया जाए. इसके लिए वो क्वॉड देशों को और ज्यादा एक्टिव करने की कोशिश करेंगे.
हिंद महासागर की सुरक्षा क्यों जरूरी
हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों वाले इस इलाके की महत्ता काफी अधिक है, क्योंकि इस समय दुनिया में 75 फीसदी वस्तुओं का आयात निर्यात इसी इलाके से होता है. इसलिए इस क्षेत्र में आने वाले बंदरगाह सबसे ज्यादा व्यस्त रहते हैं. यह इलाका पेट्रोलियम उत्पादों को लेकर उपभोक्ता और उत्पादक दोनों देशों के लिए संवेदनशील बनता जा रहा है, क्योंकि कई देशों की अर्थव्यवस्था इसी पर टिकी है. यही एक बड़ी वजह है कि चीन इस इलाके पर अपना नियंत्रण चाहता है.
चीन की चाल नाकाम होगी
हिंद प्रशांत क्षेत्र के बारे में बात करें तो इस इलाके के दायरे में कुल 38 देश आते हैं. यही वजह है कि चीन यहां अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन दूसरी तरफ अमेरिका यह कतई नहीं चाहेगा कि चीन की दखलंदाजी इस इलाके में बढ़े. इसके चलते दुनिया भर के देशों के बीच संबंध और समीकरण पहले से ज्यादा बदले हैं. एक तरफ चार महत्वपूर्ण देशों के समूह क्वॉड (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान) की भूमिका बढ़ रही है. तो वहीं चीन की दादागिरी को रोकने के लिए अमेरिका की एक अहम डील चीन की परेशानी बढ़ा रही है. दरअसल अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी देने का एक महत्वपूर्ण समझौता किया है. जिसके बाद चीन बहुत बौखलाया हुआ है.
क्वॉड का उद्देश्य चीन के लिए परेशानी
क्वॉड का उद्देश्य भी यही है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों के हितों की रक्षा की जाए. भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की तरफ से पहले ही यह साफ किया जा चुका है कि मित्रों और भागीदारों के लिए समुद्री सुरक्षा में सुधार की व्यवस्था पर काम करना जरूरी है. एक कदम आगे बढ़ते हुए भारत ने कोरोना काल के दौरान हिंद महासागर क्षेत्र के कई देशों मालदीव, मॉरीशस, मेडागास्कर और श्रीलंका जैसे देशों में मेडिकल सुविधाएं और उपकरण उपलब्ध कराया है.
समुद्र मोर्चे पर भारत की तैयारी
चालबाज चीन की हरकतों को ध्यान में रखकर और समुद्री चुनौती के लिए भारत ने भी बड़ी तैयारी कर रखी है. भारत कूटनीतिक तौर पर चीन को घेरने की कोशिश तो कर ही रहा है. इसके अलावा भारत ने अमेरिका से P8I निगरानी और हमलावर विमान भी खरीदा है. भारतीय नेवी पहले ही अपने बेड़े में 8 P8I एयरक्राफ्ट्स को शामिल कर चुकी है. इसके अलावा भारत ने अमेरिका से और भी अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर और ड्रोन खरीदे हैं जो चीन की मुश्किलें बढ़ाएंगे. भारत ने कूटनीतिक लिहाज से हिंद महासागर के कई देशों के साथ बहुपक्षीय सहयोग स्थापित किया है. जिनमें इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, फ्रांस, मालदीव जैसे प्रमुख देश हैं.
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