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- सन्नाटे की साजिश
पी. चिदंबरम: राज्यसभा के स्थगित होने से पहले, एक बार फिर असामान्य रूप से वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों और 3,25,756 करोड़ रुपए (अतिरिक्त नकद व्यय) तथा 1,10,180 करोड़ रुपए (जहां व्यय का मिलान बचत से किया जाएगा) के व्यय को अधिकृत करने के लिए विनियोग विधेयक पर एक नागरिक चर्चा हुई। इस बहुत बड़ी राशि में देश के उत्तरी और पूर्वी राज्यों में रणनीतिक और सीमावर्ती सड़कों के निर्माण के लिए रक्षा पूंजीगत व्यय के लिए पांच सौ करोड़ रुपए की एक छोटी राशि भी शामिल थी।
मैंने बहस की शुरुआत की। मैं नहीं चाहता था कि यह एक और निरर्थक बहस हो, जिसमें विपक्ष के सवाल तो हों, पर सरकार की ओर से कोई जवाब न आए। मैंने पिछले अनुभव को नजरअंदाज किया और उम्मीद की कि इस बार कुछ अलग होगा। और वाकई अलग हुआ। कुछ सवाल थे और सुखद आश्चर्य कि उनके जवाब भी थे- कुछ अस्पष्ट, कुछ सतर्क और कुछ गैर-जवाबी। सवालों और जवाबों का बारीकी से विश्लेषण करने पर, आरबीआइ के पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन द्वारा व्यक्त की गई वे आशंकाएं दूर हो गईं कि 2022-23 में वृद्धि मध्यम होगी और 2023-24 में अर्थव्यवस्था को खराब वातावरण का सामना करना पड़ेगा।
अब, मेरे सवाल और माननीय वित्तमंत्री के जवाब:
1- बजट दस्तावेज 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद में 11.1 फीसद की मामूली वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। इसमें मुद्रास्फीति की दर क्या होगी और वास्तविक जीडीपी विकास दर क्या होगी? (यह एक सामान्य नियम है कि मुद्रास्फीति दर वास्तविक वृद्धि दर = सांकेतिक वृद्धि दर)।
इसका कोई सीधा जवाब नहीं था। कोई ब्योरा नहीं दिया गया। निष्पक्ष बने रहने के लिए, मेरे दूसरे प्रश्न पर रक्षात्मक होते हुए, वित्तमंत्री ने संकेत दिया कि सांकेतिक विकास दर अधिक हो सकती है, लेकिन कोई संख्या या उस संख्या का विवरण नहीं दिया। यह संतोषजनक उत्तर नहीं था।
2- सरकार 3,25,756 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि कैसे जुटाएगी?
(क) सरकार के पास पहले से ही पैसा है, क्योंकि उसने बजट अनुमानों से अधिक राजस्व एकत्र कर लिया है;
(ख) सरकार अधिक उधार लेगी;
(ग) सरकार को उम्मीद है कि मामूली वृद्धि दर 11.1 फीसद से अधिक होगी और इसलिए, भले ही वह अधिक उधार लेती और अधिक खर्च करती है, वह 6.4 फीसद के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करेगी;
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
वित्तमंत्री ने फिर से अपना संकल्प दोहराया कि 6.4 फीसद के राजकोषीय घाटे (एफडी) लक्ष्य को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस समय कर संग्रह बजट अनुमान से अधिक है। सरल भाषा में कहें तो सरकार को उम्मीद है कि राजस्व में उछाल से 3,25,756 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि प्राप्त होगी। उम्मीद है कि सकल घरेलू उत्पाद की उच्च सांकेतिक वृद्धि दर के चलते सरकार एक अच्छी स्थिति में आ जाएगी। यह एक सतर्क जवाब था कि 2022-23 की तीसरी और चौथी तिमाही में विकास दर धीमी होने की स्थिति में में भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
3- 2013-14 में कारपोरेट कर राजस्व, सकल कर राजस्व (जीटीआर) का 34 फीसद था। 2022-23 में, कारपोरेट कर राजस्व, बजट के अनुसार, जीटीआर का केवल 26 फीसद होगा। 8 फीसद (मोटे तौर पर, 2,50,000 करोड़ रुपए) के उपहार के बावजूद, निजी कारपोरेट क्षेत्र निवेश क्यों नहीं कर रहा है?
वित्तमंत्री ने निवेश के आंकड़े पेश किए (ज्यादातर वादे, मसलन, पीएलआइ योजना चौदह क्षेत्रों में शुरू की गई) लेकिन निजी कारपोरेट क्षेत्र की सराहना नहीं की। न ही वित्तमंत्री ने उन्हें डांटा, जैसा कि उन्होंने सर्वोच्च सदनों को संबोधित करते समय किया था। साफ था कि वे इंतजार करो और देखो की मुद्रा में थीं। धीमी मांग, मुद्रास्फीति, बढ़ती ब्याज दरों, अप्रयुक्त क्षमता और वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण, निजी क्षेत्र इंतजार करो और देखो की मुद्रा में है। इंतजार करने और देखने के साथ, यह निवेश के मोर्चे पर असंतोष का वर्ष होगा।
4- विकास के चार इंजनों में से, सरकारी व्यय के अलावा, कौन से आशाजनक इंजन हैं?
वित्तमंत्री निजी निवेश के मुद्दे पर सतर्क थीं। उन्होंने निजी खपत पर कोई बात नहीं की। निर्यात को लेकर उम्मीद जताई, लेकिन हम जानते हैं कि व्यापार घाटा बढ़ रहा है। यह एक गैर-जवाब था।
5- 1991-92 और 2003-04 के बीच बारह वर्षों में वास्तविक जीडीपी दोगुनी हो गई। यह 2013-14 तक दस वर्षों में फिर से दोगुना हो गई। क्या आपकी सरकार आपके शासन के दस साल के अंत में वास्तविक जीडीपी को दोगुना कर देगी?
वित्तमंत्री अवाक रह गईं। वे हां नहीं कह सकती थीं और ना कहने में संकोच कर रही थीं। मेरा आकलन है कि सरकार दो सौ लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगी।
6- चूंकि आप रक्षा पूंजीगत व्यय के लिए पांच सौ करोड़ रुपए चाहते हैं, क्या आप कृपया हमें बताएंगे कि चीन ने हाट स्प्रिंग्स पर कुछ भी स्वीकार किया है; क्या चीन देपसांग के मैदानों और डेमचोक जंक्शन से पीछे हटने को तैयार हो गया है? अगर चीन सड़क, पुल, संचार, हेलीपैड और बस्तियों जैसे बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है और एलएसी के साथ सैनिक और हथियार जमा कर रहा है; तो क्या बफर जोन बनाने का मतलब यह है कि भारतीय सैनिक अब उस क्षेत्र में गश्त नहीं कर सकते हैं? और, प्रधानमंत्री मोदी ने बाली में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ किन मुद्दों को उठाया?
चूंकि चीन एक अचिंत्य शब्द है, वित्तमंत्री चुप्पी की साजिश में शामिल हो गईं। प्रिय पाठक, यही है अर्थव्यवस्था वाले राज्य की स्थिति, भारत-चीन सीमा की स्थिति और संसद में चर्चा द्वारा जोड़ा गया मूल्य।