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- अपराधी की जगह
राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों की बढ़ती दखल पर नकेल कसने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने दो बड़े सख्त आदेश दिए हैं। पिछले साल फरवरी में अदालत ने कहा था कि राजनीतिक दलों को अखबारों में छपवा कर और अपनी वेबसाइट के होम पेज, ट्विटर हैंडल और अन्य संबंधित मंचों पर यह स्पष्टीकरण देना होगा कि उन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कितने लोगों को टिकट दिया और क्यों दिया है। उन्हें हर उम्मीदवार का आपराधिक ब्योरा देते हुए यह भी बताना होगा कि उन्हें चुनाव लड़ाना क्यों उचित समझा। क्या उससे बेहतर कोई उम्मीदवार उन्हें नहीं मिला। जाहिर है, यह आदेश राजनीतिक दलों को असहज करने वाला था और कयास लगाए जा रहे थे कि वे इसकी अनदेखी करेंगे। वही हुआ। बिहार विधानसभा चुनाव में लगभग सभी दलों ने अपने प्रत्याशियों के आपराधिक विवरण नहीं दिए। इसे सर्वोच्च न्यायालय ने अवमानना करार देते हुए आठ राजनीतिक दलों पर भारी जुर्माना लगाया है। इसके अलावा अदालत ने दूसरा फैसला सुनाया है कि अब कोई भी राज्य सरकार किसी प्रतिनिधि के खिलाफ चल रहा कोई भी आपराधिक मुकदमा, बिना उच्च न्यायालय की अनुमति के, खुद वापस नहीं ले सकती। ये दोनों फैसले देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं, अगर इन पर कड़ाई से अमल किया हो।
लोकतंत्र में मतदाता को अपने प्रतिनिधि के बारे में जानने का पूरा हक है। इसी के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने अलग-अलग समय पर उम्मीदवारों के व्यक्तिगत विवरण में कई बार नई जानकारियां मांगी हैं। हालांकि चुनाव के लिए पर्चा दाखिल करते समय अब हर उम्मीदवार को अपनी संपत्ति, कमाई और आपराधिक मामलों का भी ब्योरा देना पड़ता है। मगर अक्सर ज्यादातर लोग उसमें अधूरी, भ्रामक और गोलमोल जानकारियां पेश करके खानापूर्ति करते देखे जाते हैं। अब राजनीतिक दलों की जवाबदेही होगी कि वे बताएं कि उन्होंने एक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को क्यों उम्मीदवार बनाया। इस तरह शायद वे ऐसी छवि के लोगों को टिकट देने से हिचकेंगी। सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त लहजे में कहा है कि ऐसी पृष्ठभूमि के लोगों को कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं है। मगर जिस तरह राजनीतिक दलों में बाहुबल और धनबल से वोट हथियाने की प्रवृत्ति जड़ जमा चुकी है, वे किस हद तक इससे मुक्त हो पाएंगे, देखने की बात है। अगर वे सचमुच लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करते हैं, तो राजनीतिक दलों को इस पर अपनी अंतरात्मा को टटोलने की जरूरत है।