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ओलंपिक खेलों के बाद अब तोक्यो पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराना शुरू कर दिया है।
ओलंपिक खेलों के बाद अब तोक्यो पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराना शुरू कर दिया है। इन खिलाड़ियों ने सोमवार को दो स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक के साथ एक दिन में पांच पदक भारत की झोली में डाल दिए। अब तक भारत को सात पदक मिल चुके हैं। इस बार के पैरालंपिक की खासियत यह भी है कि भारतीय खिलाड़ियों ने कई बार अपने ही बनाए रिकार्ड तोड़े और नया इतिहास रचा।
अवनि लेखरा ने महिलाओं की दस मीटर राइफल शूटिंग में विश्व रिकार्ड की बराबरी कर इतिहास रच दिया। इस तरह स्वर्ण पदक जीत कर वे भारत की पहली महिला खिलाड़ी भी बन गर्इं। भाला फेंक प्रतियोगिता में सुमित अंतिल ने अपना ही विश्व रिकार्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता। हालांकि देवेंद्र झाझरिया से भी भाला फेंक में काफी उम्मीदें थीं, क्योंकि वे पहले दो पारालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता रह चुके हैं। मगर उन्होंने इस बार रजत पदक हासिल किया। इससे पहले भाविना पटेल ने टेबिल टेनिस प्रतियोगिता में न सिर्फ रजत पदक जीता, बल्कि इस प्रतियोगिता में इतिहास रच दिया। वे इस प्रतिस्पर्धा में रजत पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं।
पैरालंपिक खेल सामान्य ओलंपिक से इस मायने में विशेष माने जाते हैं कि इनमें उन्हीं खिलाड़ियों का चयन किया जाता है, जो किसी वजह से अपना कोई अंग गंवा चुके होते हैं, चाहे वह दुर्घटनावश हो या जन्मजात। इन प्रतियोगिताओं में उनकी जीत को उनके मनोबल और हुनर की दृष्टि से आंकने की जरूरत होती है। ये खिलाड़ी सबसे पहले तो खुद से संघर्ष करके इस मनस्थिति में पहुंचते हैं कि उन्हें खेलना है। फिर वे समाज की जड़ मानसिकता से लड़ते हैं, तब कहीं उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने और दुनिया के खिलाड़ियों के साथ स्पर्धा में खड़ा होने का अवसर मिल पाता है।
पैरालंपिक में पहुंचने से पहले उन्हें खुद को तैयार करने के लिए पग-पग पर संघर्ष करना पड़ता है। इन खेलों की तैयारी के लिए जिस तरह के महंगे अत्याधुनिक संसाधनों की जरूरत पड़ती है, उन्हें जुटा पाना भी सबके वश की बात नहीं होती। फिर इन खेलों के लिए खिलाड़ियों के चयन की प्रक्रिया भी कम कठिन नहीं होती। शारीरिक क्षमता के आधार पर इनका वर्गीकरण किया जाता है। इसके लिए अलग-अलग बिंदु तय हैं।
इस बार के पैरालंपिक में भारत की तरफ से विभिन्न प्रतिस्पर्द्धाओं के लिए चौवन खिलाड़ी पहुंचे हैं। उनमें से बीस खिलाड़Þी ऐसे हैं, जो या तो विश्व रिकार्ड बना चुके हैं या रैंकिंग में पहले स्थान पर हैं। इसलिए अभी कुछ और पदक आने की उम्मीद स्वाभाविक है। अब तक जिन खिलाड़ियों ने प्रदर्शन किए हैं, उनमें कई ने विश्व रिकार्ड भी बनाए हैं। हालांकि हमारे देश में खेलों के प्रोत्साहन को लेकर जैसी शिकायतें रहती हैं, पैरालंपिक के खिलाड़ी भी उससे वंचित नहीं हैं।
उन्हें भी उन्हीं स्टेडियमों में अभ्यास करना पड़ता है, जहां सामान्य ओलंपिक के खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। पैरालंपिक खिलाड़ियों को विशेष प्रशिक्षकों का अभाव महसूस होता है। खेल विशेषज्ञों का मानना है कि अगर उन्हें अच्छे प्रशिक्षक उपलब्ध हों, तो और बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। इस बार के ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में पदक आने से सरकारें काफी उत्साहित नजर आ रही हैं। इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि इन खेलों से संबंधित शिकायतें भी जल्दी दूर होंगी और अगले दोनों ओलंपिक में भारत के खिलाड़ी नए कीर्तिमान बनाएंगे।
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