सम्पादकीय

पायलटों की झपकी

Subhi
24 Sep 2022 2:16 AM GMT
पायलटों की झपकी
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पायलटों के बीच करवाए गए एक ताजा सर्वे में हुआ यह खुलासा चिंताजनक है कि करीब 66 फीसदी पायलट उड़ान के दौरान क्रू मेंबर्स को सतर्क किए बगैर कॉकपिट में ही झपकी ले लेते हैं।

नवभारत टाइम्स; पायलटों के बीच करवाए गए एक ताजा सर्वे में हुआ यह खुलासा चिंताजनक है कि करीब 66 फीसदी पायलट उड़ान के दौरान क्रू मेंबर्स को सतर्क किए बगैर कॉकपिट में ही झपकी ले लेते हैं। घरेलू, क्षेत्रीय और वैश्विक उड़ानों पर जाने वाले इन पायलटों के जवाब के आधार पर माना गया कि इनमें से 54 फीसदी दिन में ऊंघने की गंभीर आदत से पीड़ित हैं, जबकि 41 फीसदी में यह हलके-फुलके रूप में है। इंटरनैशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन इसे ऐसी शारीरिक अवस्था मानता है, जो नींद की कमी या लंबे समय तक लगातार जागते रहने से पैदा होती है और जिसमें शरीर की कार्यक्षमता घट जाती है। निश्चित रूप से यह हवाई यात्रा की सुरक्षा से जुड़ा अत्यधिक गंभीर मसला है।

अध्ययन बताते हैं कि विमान दुर्घटनाओं के करीब 80 फीसदी मामले मानवीय भूलों का परिणाम होते हैं, जिनमें से अनुमान के मुताबिक करीब 15-20 फीसदी किसी न किसी रूप में पायलटों की थकान से जुड़े होते हैं। पायलटों के नींद में होने की वजह से लैंडिंग में गड़बड़ी की खबरें आती ही रहती हैं। पिछले महीने ही सूडान से इथियोपिया जा रहे इथियोपियाई एयरलाइंस का एक विमान लैंडिग मिस कर गया क्योंकि पायलट सो गए थे और वे एयर ट्रैफिक कंट्रोल के निर्देश नहीं सुन सके। संयोगवश कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन ऐसे संयोग हर बार नहीं होते। इस वजह से बड़े हादसे भी कम नहीं हुए हैं।

मिसाल के तौर पर 2010 के मैंगलोर विमान हादसे को याद किया जा सकता है, जिसमें 158 लोग मारे गए थे। जांच के बाद पाया गया था कि उस हादसे में नींद के चलते फैसले में हुई गड़बड़ी की भी भूमिका थी। पता चला 2 घंटे 5 मिनट की उस फ्लाइट में कैप्टन 1 घंटे 40 मिनट सोते रहे थे। पायलटों की इस स्थिति के लिए अन्य बातों के अलावा कुछ भूमिका उनके ड्यूटी आवर्स की भी है। इस सर्वे में जब पायलटों से पूछा गया कि छह बजे सुबह की फ्लाइट हो तो वह कितने बजे सोकर उठते हैं। ज्यादातर पायलटों ने उठने का वक्त तीन से साढ़े तीन बजे बताया। जाहिर है ऐसी स्थिति में उनका शरीर आराम की सबसे महत्वपूर्ण अवधि से वंचित हो जाता है।

पिछले कुछ समय से विमानों में गड़बड़ियों की घटनाएं खबरों में रहीं तो डीजीसीए ने उन्हें संज्ञान में लेते हुए कई तरह के निर्देश जारी किए। मगर पायलटों की थकान भी हवाई यात्रा की सुरक्षा के लिहाज से कम महत्वपूर्ण नहीं है। भारत में उड्डयन काफी संभावनाशील क्षेत्र है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मुताबिक 2027-28 तक यहां पैसेंजर फ्लो 54 करोड़ से ऊपर चले जाने की उम्मीद है, जबकि महामारी से पहले यह संख्या महज 20 करोड़ थी। मगर इस संभावना के फलित होने के लिए जरूरी है कि लोग हवाई यात्रा की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह आश्वस्त महसूस करें।


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