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- बेहतर बजट खोजता दवा...
किरण मजूमदार शॉ, जेनेरिक दवाओं से भारतीय दवा उद्योग वैश्विक स्वास्थ्य सुधार में अहम भूमिका निभा रहा है। हम दुनिया के तीसरे सबसे बडे़ दवा आपूर्तिकर्ता देश हैं और विश्व को इलाज संबंधी 60 श्रेणियों में 60,000 जेनेरिक ब्रांड की आपूर्ति करते हैं। अब भारत को दवा बाजार में अपना मूल्य बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए हमें विशेष तौर पर नोवल बायोलॉजिक्स, बायोसिमिलर, एमआरएनए और नई पीढ़ी के अन्य टीकों, ऑरफेन ड्रग्स, एंटी माइक्रोबियल, प्रीसिशन मेडिसिन, कोशिका और जीन थेरेपी के क्षेत्र में उभर रहे मौकों को हथियाना होगा, क्योंकि वैश्विक दवा बाजार में इनकी हिस्सेदारी दो-तिहाई है। देखा जाए, तो हिस्सेदारी के लिहाज से दुनिया के शीषर् पांच देशों में शुमार होने और मात्रा के लिहाज से शीर्ष पर पहुंचने के लिए हमारे दवा उद्योग को साल 2030 तक 120-130 अरब डॉलर का बनना होगा और 2047 तक 500 अरब डॉलर का। फिलहाल यह 44 अरब डॉलर का है।