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- एथनाल से पैट्रोल के...

प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पुणे में 'एथनाल' मिश्रित पैट्रोल पंप का उद्घाटन करके साफ कर दिया है कि आने वाले समय में पैट्रोल व डीजल की बढ़ती कीमतों को थामने का यही एकमात्र रास्ता होगा। इसी मार्ग से भारत पैट्रोलियम पदार्थों के आयात को कम करके घरेलू बाजार में मोटर-वाहन ईंधन के मूल्यों में कमी कर सकता है। फिलहाल भारत 80 प्रतिशत के लगभग कच्चे पैट्रोलियम तेल का आयात करके घरेलू मांग को पूरा करता है। हकीकत यह है कि भारत का जितना कुल वार्षिक बजट होता है उसकी लगभग आधी धनराशि के करीब का भारत को पैट्रोलियम पदार्थों का आयात करना पड़ता है (कोरोना काल को छोड़ कर)। यह स्थिति भयावह इसलिए है कि भारत एक विकास की ओर अग्रसर अर्थव्यवस्था है और इसका वाणिज्यिक निर्यात पिछले कुछ वर्षों से आनुपातिक रूप से नहीं बढ़ रहा है। इसकी विकास दर लगातार कम हो रही है। भारत का विदेश व्यापार घाटा बढ़ने का प्रमुख कारण कच्चे तेल व सोने का भारी मिकदार में आयात होना है। भारत पूरी दुनिया में स्वर्ण धातु का सबसे बड़ा आयातक देश भी है। बेशक सोने का कोई विकल्प नहीं हो सकता मगर पैट्रोलियम ईंधन के विकल्प की खोज में भारत समेत वे अन्य देश भी प्रयासरत रहे हैं, जिनमें इसका उत्पादन बहुत कम होता है। इन्हीं वैज्ञानिक प्रयासों से यह पाया गया कि यदि पैट्रोल में 20 प्रतिशत एथनाल मिलाया जाये तो वाहनों की कार्यक्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता और उनकी इंजिन टैक्नोलोजी में ज्यादा सुधार की जरूरत नहीं पड़ती। यही देखते हुए सबसे पहले 1999 से 2004 तक सत्ता में रही वाजपेयी सरकार के दौरान पैट्रोल में एथनाल मिश्रित करके इसे बेचने की योजना पर श्री राम नाइक के पैट्रोलियम मन्त्री रहते काम शुरू किया गया था। इसके बाद मनमोहन सरकार ने भी इस योजना पर काम जारी रखा औऱ पैट्रोल व एथनाल की 'ब्लेंडिग' को गति दी जिससे आयात कम हो सके। शुरू में इसका अनुपात पांच प्रतिशत के लक्ष्य पर रखा गया परन्तु विगत वर्ष मोदी सरकार ने 2022 तक इसे बढ़ा कर दस प्रतिशत कर दिया। अब प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि 2025 तक पैट्रोल में 20 प्रतिशत एथनाल मिलाया जायेगा। जाहिर है इससे पेट्रोल की कीमतें कम होंगी। डीजल में भी इसका मिश्रण किया जायेगा। मगर इसके लिए दस प्रतिशत मिश्रण 2030 तक होगा।
