सम्पादकीय

पाकिस्तान में उत्पीड़न: पड़ोसी मुल्कों में निशाने पर अल्पसंख्यक

Rani Sahu
14 Aug 2021 8:30 AM GMT
पाकिस्तान में उत्पीड़न: पड़ोसी मुल्कों में निशाने पर अल्पसंख्यक
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पूरे देश ने टीवी पर देखा कि कैसे पाकिस्तान के रहीमयार खान में एक नवनिर्मित सिद्धिविनायक मंदिर में उपद्रवियों ने तोड़फोड़ की और उसे अपवित्र कर दिया

शिवदान सिंह। पूरे देश ने टीवी पर देखा कि कैसे पाकिस्तान के रहीमयार खान में एक नवनिर्मित सिद्धिविनायक मंदिर में उपद्रवियों ने तोड़फोड़ की और उसे अपवित्र कर दिया। आए दिन पाकिस्तान में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश में भी हिंदुओं के चार मंदिरों में तोड़फोड़ की गई और उन्हें अपवित्र किया गया। इन घटनाओं के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश की सरकारों ने घड़ियाली आंसू बहाते हुए कार्रवाई करने की औपचारिकता की, परंतु यह दिखावा मात्र थी। यह दुखद है कि वहां के अल्पसंख्यकों को मूलभूत सुरक्षा की भावना नहीं मिलती दिखाई दे रही है।

पाकिस्तान में आए दिन हिंदुओं और सिखों की नाबालिग लड़कियों को उठाकर उन्हें जबर्दस्ती इस्लाम कबूल करा कर उनका निकाह मुस्लिमों से करवाने की अनेक घटनाएं भी सामने आई हैं। डेढ़ महीने पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत में चार हिंदू लड़कियों का इसी प्रकार अपहरण किया गया। अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव की घटनाएं महामारी के दौरान भी सामने आई हैं। कोरोना के समय लॉकडाउन में सबको भोजन और स्वास्थ्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में कठिनाई हो रही थी और सरकारें अपने नागरिकों को हर प्रकार का सहयोग देने का प्रयत्न कर रही थीं। मगर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के प्रति गैरसहानुभूति पूर्ण व्यवहार वहां की सरकार ने किया। इससे खिन्न होकर पिछले 12 महीने में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की 125 स्त्रियों ने आत्महत्या की है, जो दर्शाता है कि वहां की अल्पसंख्यक आबादी अपने आप को कितना बेबस महसूस कर रही है।
सबसे चिंता का विषय यह है कि वहां की पुलिस और न्याय व्यवस्था भी अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के प्रति उदासीन हैं, जिसके कारण अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने के लिए अतिवादियों का मनोबल बढ़ता है। खालिस्तान समर्थक पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा हितैषी मानते हैं, परंतु कुछ समय पहले ही ननकाना साहब के एक ग्रंथी की पुत्री का अपहरण किया गया और उसका निकाह एक मुस्लिम के साथ कर दिया गया। हमारे पड़ोस में अल्पसंख्यकों पर निरंतर अत्याचार हो रहे हैं, परंतु हमारे देश में अल्पसंख्यकों का जरा-सा भी बाल बांका होने पर छद्म धर्मनिरपेक्ष और इनके हितैषी बड़े-बड़े बयान देते हैं, परंतु पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के समर्थन में न तो उनका कोई बयान आता है और न ही ऐसी घटनाओं का विरोध।
संयुक्त राष्ट्र की महिला और बाल हितों के लिए बनाई गई एक कमेटी ने पाकिस्तान की महिलाओं के बारे में विवरण जुटाया और उन्होंने पाया कि वहां पर अल्पसंख्यकों की महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है और उनके प्रति सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। इस कमेटी ने पाकिस्तान सरकार को सुझाव दिया है कि अल्पसंख्यकों और खासकर उनकी महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों का संज्ञान शीघ्र लिया जाना चाहिए और इनकी जांच और न्याय एक निर्धारित समय में किया जाना चाहिए। परंतु वहां की सरकार मुस्लिम कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए इस कमेटी की रिपोर्ट पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। आजादी के समय पाकिस्तान में 22 फीसदी हिंदू आबादी थी, जो आज घटकर केवल 1.6 फीसदी रह गई है। इसी प्रकार बांग्लादेश में 1971 में यह आबादी 14 फीसदी थी, जो अब घटकर केवल छह फीसदी रह गई है।
इन दोनों देश में ज्यादातर अल्पसंख्यक या तो डर की भावना से धर्म परिवर्तन कर लेते हैं या वे भारत की ओर पलायन कर जाते हैं। ऐसे ही अल्पसंख्यकों को शरण देने के लिए हमारे देश में नागरिकता संशोधन कानून लाया गया है। भारत में धर्मनिरपेक्षता की वकालत करने वाले लोगों को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों के प्रति हो रहे अत्याचारों और जुल्मों के विरुद्ध भी आवाज उठानी चाहिए। भारतवर्ष में अल्पसंख्यकों के साथ ऐसा भेदभाव नहीं है। हमारे यहां हर नागरिक के वोट का ध्यान हर राजनीतिक पार्टी रखती है, यदि यही प्रणाली पाकिस्तान में भी होती, तो वहां की अल्पसंख्यक आबादी इतनी भयभीत और परेशान नहीं होती।


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