सम्पादकीय

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुनियोजित साजिश के तहत देश के लोगों को किया गया गुमराह

Gulabi
26 Oct 2020 4:48 AM GMT
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुनियोजित साजिश के तहत देश के लोगों को किया गया गुमराह
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विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में अन्य अनेक विषयों पर चर्चा करते हुए यह जो कहा कि नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को लेकर मुस्लिम समाज को भ्रमित करने की साजिश हुई, वह एक ऐसी सच्चाई है, जिसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। इसलिए और भी नहीं, क्योंकि अभी भी कुछ लोग सीएए को मुस्लिम विरोधी बताने में लगे हुए हैं। इससे बड़ी विडंबना और कोई नहीं हो सकती कि जिस कानून का किसी भारतीय नागरिक से कोई लेना-देना नहीं, उसे लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों को सड़कों पर उतार दिया गया। यह काम इसीलिए संभव हो सका, क्योंकि एक सुनियोजित साजिश के तहत लोगों को गुमराह किया गया।

यह साजिश जिस किसी ने भी रची हो, लोगों और खासकर मुस्लिम समाज को भड़काने का काम अनेक विपक्षी दलों ने किया। इनमें कांग्रेस सरीखे वे दल भी थे, जो एक समय इस कानून में वैसे ही संशोधन करने की मांग कर रहे थे, जैसे किए गए। राजनीतिक दलों के साथ-साथ तथाकथित सेक्युलर तत्वों और वामपंथी बुद्धिजीवियों ने भी यह भ्रम फैलाया कि सीएए कुछ लोगों की नागरिकता छीनने का काम कर सकता है, जबकि यह कानून तो नागरिकता देने के लिए है।

इस पर आश्चर्य नहीं कि मोहन भागवत के वक्तव्य का विरोध शुरू हो गया है। इस विरोध का उद्देश्य यही है कि सीएए के खिलाफ साजिश की उनकी खरी बात से जनता का ध्यान भंग किया जा सके। इस सिलसिले में इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि सीएए के खिलाफ खड़े लोग सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी विरोध कर रहे हैं, जिसके तहत यह कहा गया कि असहमति दर्ज कराने के नाम पर सार्वजनिक स्थलों पर अनिश्चितकाल के लिए काबिज नहीं हुआ जा सकता। यह फैसला दिल्ली के उस बदनाम शाहीन बाग धरने के संदर्भ में आया था, जो सड़क पर कब्जा करके करीब सौ दिनों तक चलाया गया और जिसने दिल्ली-एनसीआर के लोगों की नाक में दम करने के साथ देश में जहर घोलने का काम किया। जब इस समाज विरोधी कृत्य के लिए शìमदा होने की जरूरत थी, तब उसे असहमति के आवरण से ढकने की कोशिश की जा रही है।

इस रवैये के प्रति शासन-प्रशासन के साथ ही आम लोगों को भी सतर्क रहना होगा, क्योंकि शाहीन बाग के इसी धरने के चलते दिल्ली में आजादी के बाद सबसे भीषण दंगे हुए। चूंकि सीएए के खिलाफ आग उगलने, लोगों को गुमराह करने और देश को बदनाम करने में सहायक बनने वाले अभी चैन से नहीं बैठे हैं, इसलिए आम जनता को भी उनके दुष्प्रचार की काट करने के लिए तैयार रहना होगा।

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