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- देरी पर दंड
अगर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने तय कर लिया है कि अब सड़क परियोजनाओं को हर हाल में समय पर पूरा करना है, तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। कोई शक नहीं कि पिछले दो दशक में भारत में सड़कों की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। सड़क मार्ग से परिवहन सुगम हुआ है, लेकिन अभी बहुत कुछ करने की गुंजाइश है। क्या हम पांच साल की परियोजना को पांच साल से पहले पूरी नहीं कर सकते? क्या हमारे इंजीनियर मेहनती नहीं हैं? क्या उनमें समय पर काम को अंजाम देने की प्रतिभा नहीं है? ये बड़े बुनियादी सवाल हैं, जो सीधे विकास से जुड़े हैं। एनएचएआई ने 24 अगस्त को जो नीतिगत दस्तावेज जारी किया है, उसकी उपयोगिता बहुत लंबे समय से थी। परियोजनाओं के तमाम छोटे-बड़े कामों को टालने की प्रवृत्ति का अंत जरूरी है। हम बुनियादी ढांचा विकास में पहले ही बहुत पिछड़ गए हैं। भारत निवेश में अगर पिछड़ रहा है, तो खराब सड़केंभी जिम्मेदार हैं।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान