सम्पादकीय

देरी पर दंड

Rani Sahu
27 Aug 2021 6:36 PM GMT
देरी पर दंड
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अगर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने तय कर लिया है कि अब सड़क परियोजनाओं को हर हाल में समय पर पूरा करना है

अगर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने तय कर लिया है कि अब सड़क परियोजनाओं को हर हाल में समय पर पूरा करना है, तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। कोई शक नहीं कि पिछले दो दशक में भारत में सड़कों की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। सड़क मार्ग से परिवहन सुगम हुआ है, लेकिन अभी बहुत कुछ करने की गुंजाइश है। क्या हम पांच साल की परियोजना को पांच साल से पहले पूरी नहीं कर सकते? क्या हमारे इंजीनियर मेहनती नहीं हैं? क्या उनमें समय पर काम को अंजाम देने की प्रतिभा नहीं है? ये बड़े बुनियादी सवाल हैं, जो सीधे विकास से जुड़े हैं। एनएचएआई ने 24 अगस्त को जो नीतिगत दस्तावेज जारी किया है, उसकी उपयोगिता बहुत लंबे समय से थी। परियोजनाओं के तमाम छोटे-बड़े कामों को टालने की प्रवृत्ति का अंत जरूरी है। हम बुनियादी ढांचा विकास में पहले ही बहुत पिछड़ गए हैं। भारत निवेश में अगर पिछड़ रहा है, तो खराब सड़केंभी जिम्मेदार हैं।

गौरतलब है, जारी दस्तावेज या सर्कुलर में यह भी साफ कर दिया गया है कि कई मामलों में जान-बूझकर मामूली मंजूरी से जुड़ी फाइलों को भी इधर से उधर किया जाता है, ताकि ठेकेदारों को जुर्माने से बचाया जा सके। ठेकेदारों को जुर्माने से बचाने या उनकी लगाम न कसने के पीछे क्या कारण हैं, इसे समझना कठिन नहीं है। जाहिर है, परियोजना की बढ़ी हुई लागत एनएचएआई और देश को चुकानी पड़ती है। सलाहकार-इंजीनियर की सांठगांठ से ठेकेदार बच जाते हैं। सांठगांठ करके कई तरह से देश को चूना लगाया जाता है। अब यह बहुत जरूरी है कि भारत में सड़क परियोजना में होने वाली देरी के लिए जिम्मेदारी तय हो और देरी करने वाले को दंडित किया जाए। ठीक इसी तरह अन्य तरह की विकास परियोजनाओं के लिए भी नीतिगत दस्तावेज जारी होने चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि तमाम परियोजनाएं समय पर पूरी हों। परियोजनाओं को अगर पूरी तेजी से चलाया जाएगा, तो उससे समग्र आर्थिक-सामाजिक विकास में भी तेजी आएगी और रोजगार में भी वृद्धि होगी। देश का तन, मन और धन बर्बाद नहीं होगा।

क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान

Rani Sahu

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