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- पेगासस जासूसी की जांच
पेगासस जासूसी कांड की अब जांच होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है और तीन विशेषज्ञ उसका सहयोग करेंगे। उनके अधिकार-क्षेत्र को भी कुछ परिभाषित किया गया है। सर्वोच्च अदालत के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आर.वी. रवींद्रन की अध्यक्षता में रॉ के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी और साइबर प्रौद्योगिकी एवं सिस्टम के विशेषज्ञ डॉ. संदीप ओबेरॉय भी समिति के अन्य सदस्य हैं। नागरिकों की निजता के अधिकार के मद्देनजर सुप्रीम अदालत का यह हस्तक्षेप जरूरी था, ताकि निष्कर्ष तक पहुंचना संभव हो सके कि आखिर ऐसी जासूसी या निगरानी की ज़रूरत क्या थी? क्या इजरायल से पेगासस स्पाईवेयर खरीदा गया, तो आदेश किसने दिया था? क्या ऐसा करना कानूनन था और प्रक्रिया भी वैध थी? प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के अलावा जासूसी का डाटा किसी अन्य देश या संस्थान से भी साझा किया गया? आखिर भारत सरकार इस मुद्दे पर खामोश क्यों है? हालांकि 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के मद्देनजर न्यायिक समीक्षा न किए जाने का आग्रह भारत सरकार ने अदालत से किया था, लेकिन सर्वोच्च अदालत का मानना है कि भारत सरकार विस्तार से स्पष्ट नहीं कर सकी कि पेगासस पर कुछ सवालों के जवाब देने से राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में कैसे पड़ सकती है?
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