- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- गरीबी उन्मूलन से समाज...

पिछले महीने (सितंबर) की 21 तारीख को हमने अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस मनाया था। इस मौके पर शांति के लिए तरह-तरह के विचार और सिद्धांत कहे-लिखे गए, लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल बिना सुलझे रहा कि किसी समाज, देश और पूरी दुनिया में शांति कैसे आए? शांति सब तरफ हो, पूरी दुनिया में हो, यह आज की ज़रूरत है, लेकिन शांति के लिए युद्ध न होना या युद्ध की परिस्थितियों का न होना ही काफी नहीं है। शांति के लिए यह भी ज़रूरी है कि दुनिया का हर इनसान अपने जीवन में शांति महसूस कर सके। इस नज़रिए से शांति तब तक नहीं आ सकती जब तक हर इनसान उन सब हालात में न हो जिसमें वह आजकल है। इन हालात में सबसे बड़ी और बुरी बात गरीबी है। तमाम तरह की तरक्की के बाद भी दुनिया की 30 फीसदी आबादी गरीबी की हालत में रहने को मजबूर है, जिसके लिए यह आबादी जिम्मेदार नहीं है। जिम्मेदार वो लोग हैं जो अपने आप को रहनुमा कहते हैं और कहीं न कहीं व्यवस्था से जुड़े हैं। एशिया, ख़ासकर दक्षिण एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका में लाखों-करोड़ों लोग ऐसे हैं जो गरीबी के मानक, दो डालर या यूं कहें 150 रुपए रोज से कम में जिंदा रहने को मजबूर हैं। भारत में तमाम तरह की कोशिशों के बावजूद 28 फीसदी आबादी सरकारी तौर पर गरीबी में रहने को मजबूर है, जबकि गैर-सरकारी तौर पर यह आंकड़ा बहुत ज्यादा है। देश में गांधीजी और आचार्य विनोबा ने इस स्थिति को अपनी जिंदगी के शुरुआती दौर में बहुत अच्छी तरह समझ लिया था। गांधी ने अपने प्रयोगों में गरीबी दूर करने के अनेक उपायों को आजमाया, जिसमें ग्राम स्वराज की परिकल्पना और उसका अमलीजामा देश की गरीबी दूर करने में बहुत कारगर हो सकता था।
