सम्पादकीय

देश प्रेम और तिरंगा…

Rani Sahu
3 Aug 2022 6:47 PM GMT
देश प्रेम और तिरंगा…
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हमारे देश के राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त ने अपनी एक कविता में क्या खूब कहा है कि ‘जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रस धार नहीं वह हृदय नहीं है

By: divyahimachal

हमारे देश के राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त ने अपनी एक कविता में क्या खूब कहा है कि 'जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रस धार नहीं वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।' देश से प्रेम करना हमारा नैतिक और इनसानियत का फर्ज है। जिस देश में हम अपना जीवन निर्वाह कर रहे हों, उस देश की खुशहाली के लिए हमें अपनी तरफ से कोई न कोई प्रयास जरूर करना चाहिए। देश प्रेम का मतलब यह नहीं कि हम देशप्रेम की बड़ी-बड़ी बातें करें।
सोशल मीडिया पर देशभक्ति के स्टेटस डालें, बल्कि देशप्रेम के लिए धरातल पर काम करें। हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा देश की शान है। तिरंगे का सम्मान करना भी देशप्रेम है। इस तिरंगे की आन, बान और शान के लिए देशभक्तों ने कुर्बानियां दी हैं। आजादी को बनाए रखना हमारा फर्ज है।
-राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा


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