सम्पादकीय

लॉन्ग कोविड से जूझ रहे मरीज खुद से न लें दवा, किडनी खराब होने का है खतरा: एक्सपर्ट्स

Gulabi Jagat
16 March 2022 10:14 AM GMT
लॉन्ग कोविड से जूझ रहे मरीज खुद से न लें दवा, किडनी खराब होने का है खतरा: एक्सपर्ट्स
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कोविड के संक्रमण से ठीक होने के बाद भी कुछ लोगों में इसके लक्षण कई सप्ताह तक बने रहते हैं
शालिनी सक्सेना।
कोविड (Coronavirus) के संक्रमण से ठीक होने के बाद भी कुछ लोगों में इसके लक्षण कई सप्ताह तक बने रहते हैं. इसे लॉन्ग कोविड (Long Covid) कहा जाता है. सिरदर्द, शरीर में दर्द और लो-ग्रेड बुखार कुछ ऐसे पोस्ट कोविड लक्षण हैं जो वायरस से उबरने के महीनों बाद भी बने रहते हैं. ऐसे में कई मरीज डॉक्टर के पास जाने के बदले खुद से ही दवाएं लेते हैं और अपनी बीमारी का इलाज खुद ही करने की सोचते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस वजह से ही ऐसे मरीजों में कोरोना से पूरी तरह से ठीक होने में काफी समय लग जाता है. ऐसा करने से किडनी खराब (Kidney Diseases) होने जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि मरीज डॉक्टरों की सलाह के बिना दवाएं लेने से बचें.
साकेत के मैक्स अस्पताल में पल्मोनोलॉजी के प्रमुख निदेशक विवेक नांगिया ने सबसे सरल कारण बताया है कि लोग खुद दवा का सहारा क्यों लेते हैं. नांगिया ने कहा, "इस विषय में कई बार लोग इधर-उधर से सुनी हुई बातें मान लेते हैं. जैसे कि वे अपने दोस्तों की कही बातें या सोशल मीडिया पर पढ़ी गई बातों को मान लेते हैं. लोग अफवाहों पर भी ध्यान देने लगते हैं. मेरे पास कई ऐसे मरीज़ आते हैं जो कहते हैं कि उनके रिश्तेदारों ने कुछ अलग सुझाव दिए हैं, या उन्होंने एक खास टेस्ट कराने के लिए कहा है." उन्होंने कहा कि खुद से इलाज का प्रचार करनेवाली इन अफ़वाहों से अक्सर रोगियों में सुरक्षा की झूठी भावना भर जाती है और उन्हें लगता है कि वे घर पर ही अपनी परेशानी का इलाज कर सकते हैं.
डॉ. विवेक का कहना है कि ऐसा करना कुछ मामलों में तो ठीक हो सकता है, लेकिन उचित उपचार केवल एक डॉक्टर ही कर सकता है. ऑनलाइन या दूसरों द्वारा बताई दवाएं कुछ देर की राहत तो दे सकती हैं लेकिन किसी को ठीक नहीं कर सकती."
खुद से दवा लेना बहुत खतरनाक है
फरीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में पल्मोनोलॉजी के अतिरिक्त निदेशक डॉ. रवि शेखर झा ने टीवी9 को बताया कि चाहे जो भी हो, COVID के लक्षणों के लिए खुद से दवाई लेना सबसे खतरनाक चीजों में से एक है. "ऐसा करने का प्रभाव विशेष रूप से दूसरी लहर के दौरान देखा गया. कई रोगियों में हमने देखा कि उन्होंने बीमारी के दूसरे सप्ताह में डॉक्टर से परामर्श और उचित निदान के बिना स्टेरॉयड लेना शुरू कर दिया. स्टेरॉयड केवल डॉक्टर के परामर्श अनुसार ही लिया जाना चाहिए वह भी तब यदि ऑक्सीजन का स्तर गिरता है या फिर केवल तब जब आप बीमारी के दूसरे सप्ताह में हों, लेकिन लोगों ने इसका पालन नहीं किया. हमने रोगियों में ब्लैक एंड व्हाइट फंगस के मामले देखे जो खुद से दवा लेने के कारण हुए थे. डॉ. झा के मुताबिक, तीसरी लहर के दौरान COVID का एक लक्षण शरीर में दर्द भी था. कई मरीज खुद से दर्द की दवा लेने के कारण किडनी संबंधी बीमारियों के साथ अस्पताल आ रहे थे. इसलिए खुद दवा लेना खतरनाक है.
बीमारी का मूल कारण पता लगाना जरूरी
फरीदाबाद में एशियाई आयुर्विज्ञान संस्थान में आंतरिक चिकित्सा के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. राजेश कुमार बुद्धिराजा ने इस बात का समर्थन करते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में पैरासिटामोल जैसी गोलियां दिन में तीन-चार बार सात-आठ दिनों तक नहीं खानी चाहिए. "यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि किसको कौन सी बीमारी है, पैरामीटर क्या हैं और टेस्ट्स के रिजल्ट्स क्या हैं. ऐसी कोई दवा नहीं है जिसे अपनी मर्जी से लिया जाना चाहिए. डॉक्टर के पास जाएं और समस्या का पता लगाएं. मूल कारण पता लगाना जरूरी है. कोरोना एक नई बीमारी है और हम नहीं जानते कि कैसे और किस हद तक लोग बिना डॉक्टर की सलाह के गोलियां खा रहे हैं, जिससे शरीर को नुकसान हो रहा है.
लॉन्ग कोविड हो तो जांच जरूरी है
डॉ. बुद्धिराजा के अनुसार, लॉन्ग कोविड एक आम बात हो गई है. उन्होंने कहा, "दूसरी लहर के बाद तो यह कई लोगों में देखा गया है. कई मामलों में बुखार, सिर में दर्द और शरीर में दर्द जैसे लक्षण अपने आप कम हो जाते हैं, किसी दवा की ज़रूरत नहीं होती है. लेकिन कुछ लोगों को उपचार और दवा की आवश्यकता होती है. हालांकि इसके लिए कोई विशिष्ट टेस्ट नहीं है, अगर किसी कोविड के मरीज़ को लम्बे समय तक बुख़ार आता हो तो हमें TB या इस तरह की अन्य बीमारियों की जांच करवा लेनी चाहिए और उस हिसाब से इलाज शुरू कर देना चाहिए."
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