- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- धीरज, धर्म, विवेक हैं...
धीरज, धर्म, विवेक हैं संकट के समय के सच्चे साथी, इनके साथ कभी नहीं मिलेगी हार
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | शंभूनाथ शुक्ल | महाभारत में दुर्योधन वीर था, कुशल शासक था, अपने ध्येय और अपने मित्रों के लिए जान तक कुर्बान कर सकता था. उसे मां-बाप से, भाइयों से और अन्य रिश्तेदारों से प्रेम था. वह सबका सत्कार करना भी जानता था. आखिर यह उसी का कौशल था कि नकुल-सहदेव के मामा मद्र नरेश शल्य उसकी सेवा सुश्रुषा से खुश होकर उसकी तरफ से लडऩे को गए. लेकिन इन गुणों के बावजूद उसे उसके असली नाम सुयोधन से नहीं बल्कि दुर्योधन के नाम से जाना गया और महाभारत का खलपात्र उसे कहा गया. इसकी वजह थी कि उसको अपनी अधीरता पर कंट्रोल नहीं था. वह अधीर था और हर चीज को तत्काल पा लेना चाहता था. यही अधीरता आजकल हमें समाज के हर वर्ग में दिखती है. जबकि प्रकृति का नियम यह है कि कोई भी चीज समय के पूर्व नहीं मिलती. प्रकृति ने हर चीज का समय मुकर्रर कर रखा है. पर अधीर व्यक्ति चाहता है कि हथेली में सरसों उग जाए और इसीलिए वह ऐसी हरकतें करने लगता है जो नियम विरुद्ध प्रतीत होती हैं.