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- पार्टी की कमान
Written by जनसत्ता: इन दिनों कांग्रेस अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी की कभी हां कभी ना की नीति के कारण पार्टी असमंजस में है। गुलाम नबी आजाद के बाद अब आनंद शर्मा ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। पहले कपिल सिब्बल और ज्योतिरादित्य सिंधिया इन्हीं कारणों से इस्तीफा देकर अपना घर अलग बसा चुके हैं। बरहाल, इतना तो तय है कि कांग्रेस पार्टी अपने अंतर्विरोधों से उबर नहीं पा रही है।
वर्तमान में कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए प्रक्रिया जारी है, इसलिए देखना है कि क्या इस पद पर गांधी परिवार या अन्य किसी को बिठाने का मौका मिलेगा। कई हैं, जो गांधी परिवार के बाहर के होकर भी उम्मीद से हैं। राहुल बाबा को आज अध्यक्ष बनाने के लिए कई लोग प्रयासरत हैं, पर वे ना ना करते हुए भी इस पद से प्यार करते हैं। वैसे आज कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी के रूप में देश में अपना एक मजबूत संगठन रखती है, इस बात पर बड़ा ऊहापोह है, जो कि पार्टी को काफी कमजोर दिखाता है।
जब साधन और सत्ता का साथ मिल जाता है तो कोई भी आम इंसान अपने आप को ताकतवर समझने लगता है। उसे लगता है उसके सामने हर कोई बौना है। शायद इसीलिए बाबा रामदेव पहले से कुछ ज्यादा बड़बोले हो गए हैं। सत्तारूढ़ दल का हाथ था, तभी तो तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन की उपस्थिति में उन्होंने कोरोना की दवा बना लेने की बात कही थी।
वहीं से उन्हें सत्ता का संरक्षण मिलता गया और वे आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपैथी का मजाक उड़ाते हुए देखे गए। आज भी वे अपने उसी विचार पर कायम हैं। अच्छा किया कि मंगलवार को शीर्ष अदलात ने उन्हें कड़ी नसीहत दी। कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के बीच एलोपैथी और इसकी प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों को 'बदनाम' करने की कोशिश करने वाले विज्ञापनों के संबंध में फटकार लगाई और केंद्र से उन्हें रोकने को कहा।
अब तो उनके पतंजलि उत्पादों की भी जांच होनी चाहिए। 'शुद्ध गाय का घी' खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा किए गए एक परीक्षण में खाद्य सुरक्षा मानकों को पूरा करने में विफल रहा है। पतंजलि घी का एक नमूना राज्य और केंद्रीय प्रयोगशालाओं द्वारा किए गए खाद्य सुरक्षा परीक्षणों में विफल होने के बाद मिलावटी पाया गया।