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- परमार से जयराम तक

हिमाचल जब भी अपने अस्तित्व, अपनत्व, अभिव्यक्ति, अभिमत या स्थापना के अनुच्छेद में खुद को खोजेगा, सर्वप्रथम स्व. वाईएस परमार को निर्माता के रूप में कबूल करेगा। राजनीति के मानदंडों पर भले ही हिमाचल का निर्माण जारी है और इसी प्रमाण में हर मुख्यमंत्री को अपनी हाजिरी लगानी पड़ती है। ऐसे में वाईएस परमार अगर हिमाचल निर्माता थे, तो स्व. वीरभद्र सिंह शिल्पकार थे। इसी पड़ताल में शांता कुमार ने बतौर मुख्यमंत्री हिमाचल को आत्मसम्मानी और आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की, लेकिन दोनों पारियों में उनका रन आउट होना उनके बेहतर प्रयास का पूरा मूल्यांकन नहीं करता। प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने अतीत की सभी धुरियों से मुकाबला किया और वह भौगोलिक राजनीति को अपनी जमीन पर खड़ा करते देखे गए। मानना पड़ेगा कि उनकी सियासत के धु्रव सबसे अलग और प्रदेश के गणित को कहीं जमा और कहीं माइनस करने की क्षमता में उन्हें सबसे अधिक सशक्त करते रहे। इसमें दो राय नहीं कि वह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अतीत में एक वैचारिक शिल्पकार थे और अगर इन्हें समांतर रेखाओं के बीच देखा जाए, तो निश्चित रूप से राष्ट्रीय चरित्र का अवलोकन किया जाएगा।
