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संसद या विधानमंडलों में समय-समय पर अनेक शब्दों को असंसदीय श्रेणी में डाला जाता रहा है, ताकि सदन में भाषा की शुचिता बने रहे। इसके पीछे ध्येय यही होता है कि सदन में भाषा मर्यादित रहे और ओछी भाषा का उपयोग कोई न करे। ऐसी ही कवायद के तहत लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द 2021 शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों और वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है, जिनको 'असंसदीय अभिव्यक्ति' की श्रेणी में रखा गया है। इसका मतलब यह हुआ कि सांसद इन शब्दों के इस्तेमाल से बचेंगे और अगर ऐसा कोई शब्द उनके मुंह से निकल गया, तो सदन की दर्ज कार्यवाही से उसका लोप कर दिया जाएगा। आमतौर पर सांसद असंसदीय सूची में दर्ज शब्दों के इस्तेमाल से बचते ही हैं, लेकिन ऐसे शब्दों का इस्तेमाल सदन में पैदा माहौल की वजह से भी होता है। असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि अच्छे परिवेश में चर्चा हो, तो शब्दों की शुद्धता और शुचिता भी कायम रहेगी।
