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- ठहरी हुई संसद: विपक्ष...
भूपेंद्र सिंह| संसद के निचले सदन में विपक्ष की नारेबाजी से आजिज आए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जैसे सख्त शब्दों में अपनी नाखुशी जाहिर की, कुछ वैसे ही राज्यसभा में सभापति वेंकैया नायडू ने अपनी नाराजगी प्रकट की। जहां लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सांसदों से नारेबाजी की प्रतियोगिता से बाज आने को कहा, वहीं राज्यसभा के सभापति ने संसद सदस्यों को आत्मनिरीक्षण करने और सदन का समय बर्बाद न करने की हिदायत दी। इसमें संदेह है कि इस नाराजगी का कहीं कोई असर विपक्षी दलों के नेताओं पर पड़ेगा। इसके आसार इसलिए नहीं, क्योंकि विपक्षी दलों ने पहले से ही यह तय कर रखा है कि कुछ भी हो जाए, संसद को नहीं चलने देना है। विपक्ष न केवल एकजुटता के अभाव से ग्रस्त दिख रहा है, बल्कि इससे भी कि किन मसलों को प्राथमिकता देनी है और किस तरह? भले ही वह कुछ मुद्दों को तूल देता हुआ दिख रहा हो, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि उसे इन मुद्दों पर बहस में दिलचस्पी है। यदि ऐसा कुछ होता तो उसकी ओर से ऐसा माहौल उत्पन्न नहीं किया जाता कि संसद चलने ही न पाए। समझना कठिन है कि विपक्ष संसद की कार्यवाही बाधित कर क्या हासिल करना चाहता है? यदि वह यह समझ रहा है कि संसद न चलने से जनता के बीच कोई अच्छा संदेश जाएगा तो यह संभव नहीं, क्योंकि जनमानस तो राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर कोई सार्थक बहस चाहता है।