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- फिर शुरू हुआ संसद का...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज से प्रारम्भ हो रहे संसद के बजट सत्र के पहले दिन का कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त विपक्ष ने बहिष्कार करने का ऐलान किया है। आज राष्ट्रपति का अभिभाषण दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में होना है। सामान्यतः विपक्ष की ऐसी कार्रवाई से बचना चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति केवल संविधान के ही संरक्षक नहीं होते बल्कि वह संसद के भी सिरमौर होते हैं। उन्हीं के आदेश से संसद का सत्र शुरू होता है और उसका सत्रावसान होता है। जहां तक किसान आंदोलन का सवाल है, गणतंत्र दिवस पर किसानों के ट्रैक्टर मार्च ने हिंसा के जो दृश्य देश के लोगों ने देखे वह शर्मसार करने वाले थे। देश के नागरिक तिरंगे का अपमान नहीं सह सकते। बेहतर होता कि विपक्ष संसद के बजट सत्र में अपनी बात खुलकर रखता। दो महीने से ज्यादा चले किसान आंदोलन में देशवासियों ने खुलकर उनका समर्थन किया। उनको भोजन, पानी और अन्य सुविधाएं भी मुहैया करवाईं। लेकिन ट्रैक्टर मार्च के अराजक होने के बाद उनके साथ पूरी सहानुभूति ही खत्म हो गई। अगर 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए वह भी देश के बेटे और बेटियां हैं। सरकार ने 11 दौर की बातचीत की और तीनों नए कृषि कानूनों को दो वर्ष तक लागू न करने का आश्वासन भी दिया। यह सरकार की तरफ से दी गई बेहतरीन पेशकश थी। लेकिन किसान नेता जिद्द पर अड़े रहे। सरकार ने उदार रवैया अपनाते हुए उन्हें ट्रैक्टर मार्च की अनुमति भी दी और दिल्ली पुलिस ने भी काफी संयम से काम लिया। लेकिन लालकिले के परिदृश्य ने आंदोलन के स्वरूप को ही बिगाड़ दिया।