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- घातक होती...

न बीड़ की हवाओं का कसूर था और न ही बिलिंग के जुनून में कोई खोट था, फिर भी पैराग्लाइडिंग के इतिहास में और दो लोगों की मौत का हिसाब दर्ज हो गया। कुछ तो चेतावनियां नजरअंदाज हुई होंगी या लापरवाही के आलम में इतनी गुस्ताखी हो गई कि दो पायलटों का हुनर एक पर्यटक के रोमांच को लील गया और वहीं खुदकुशी करने जैसे मंजर में स्वागतकक्ष के सूचना पट्ट से एक सहयोगी पायलट का नाम हट गया। यह दृश्य गहन चिंता का विषय है। विडंबना यह है कि जिस स्थान में 'नई राहें और नई मंजिलें' ढूंढी जा रही हैं, वहां इस तरह के हादसे विभागीय चौकसी और कायदे-कानूनों की लापरवाही को इंगित करते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से अगर हिमाचल का सबसे श्रेष्ठ पैराग्लाइडिंग स्थल ही अपाहिज है, तो फिर पूरे प्रदेश में नित नए स्थानों पर होने जा रही पैराग्लाइडिंग का भविष्य क्या होगा। आश्चर्य यह कि साहसिक खेलों की निगरानी के कोई स्थायी मानक व प्रबंधन दिखाई नहीं देता। सतर्कता के अभाव में ऐसे आयोजन मात्र चांदी कूटने के अभिप्राय बन रहे हैं, जबकि ये पर्यटन की छवि से सीधे जुड़ते हैं। उड़ान भरने से पूर्व की पड़ताल व उसकी स्वीकृति देने के लिहाज से विभागीय उपस्थिति जब तक मौके पर नहीं होगी, ऐसे हादसों की कहानियां प्रदेश का नाम ही बदनाम करेंगी।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल
