सम्पादकीय

कागज नया, किस्से पुराने

Rani Sahu
4 Jan 2022 7:12 PM GMT
कागज नया, किस्से पुराने
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वह आदर्श पड़ोसी ही क्या जो मौके बेमौके आपका सुख चैन खराब न करे

अशोक गौतम

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वह आदर्श पड़ोसी ही क्या जो मौके बेमौके आपका सुख चैन खराब न करे। एक अच्छे पड़ोसी में और चाहे सारे अवगुण हों, पर यह गुण अवश्य विद्यमान रहता है। एक आदर्श पड़ोसी को अपने पड़ोसी को वजह बेवजह तंग करने पर जो आनंद मिलता है उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। बस, उसे महसूस किया जा सकता है। कल्पना मूर्त करनी ही हो तो यह उससे पूछिए जो अपना फटा पाजामा होने के बाद भी हर समय अपने पड़ोसी के फटते पाजामे में अपनी टांगें फंसा उसको और फाडऩे में निमग्न रहता है। हड़बड़ाते जागा तो देखा, सामने नया साल खड़ा था मुस्कुराता हुआ। अच्छा भी लगा, अंधेरे में ही सही, किसी हंसते मुस्कुराते से मुलाकात तो हुई। पहली बार आभार पड़ोसी! वर्ना यहां तो जिसे देखो, जब देखो घर से लेकर संसद तक मुंह लटकाए सब दिखते हैं। हर चेहरे पर परेशानियां इतनी कि ज्यों रत्ती भर भी जगह मुस्कान को न बची हुई। और जो कोई गलती से हंसता दिखता ही है तो यों ज्यों हंसते हुए दिखना उसकी विवशता हो।
हंसते हुए दिखने को भी एक दिन विवश हो जाएंगे, और तो सब सोचा था, पर ये कभी न सोचा था। उसने तब मुझसे मुस्कुराते हुए पूछा, 'और डियर! कैसा लग रहा है न्यू ईयर से मिलकर?' तो मैंने अपनी आंखें मलते कहा, 'ठीक ठीक ही लग रहा है बंधु!' जब उसे लगा कि मेरी उसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं तो उसने मुझसे फिर पूछा, 'ठीक ठीक ही लग रहा है बोले तो? क्या तुम मेरे आने पर खुश नहीं?' उसने मेरी सोती जागती आंखों में अपनी आंखें डालते पूछा तो मैंने कहा, 'मित्र! सच कहूं तो कुछ खास नहीं! तुम ही नए भर हो। किस्से तो वही पुराने हैं। इस साल भी रोज की तरह सुबह की बची दाल में पानी डाल शाम को तडक़ा लगेगा जो सालों से लग रहा है। बासी चपातियां पहले कुत्ते को देने को मन करेगा, पर बाद में फिर गर्म कर दो दो आपस में बांट खा ली जाएंगी। अबके फिर नए जूते लेने का संकल्प लूंगा।
पर पिछले साल की तरह फिर उनके सोल बदलवा लूंगा। सुबह से फिर रोज की तरह ऑफिस जाते हुए स्कूटर में पेट्रोल डलवाने को पहले दो सौ निकालूंगा और फिर पचास का पेट्रोल डलवा गुस्से में स्कूटर स्टार्ट करूंगा, किक पर किक मारते हुए उसे उल्टा सीधा करते करते। ऑफिस से घर आते हुए जलते भुनते लिफाफे में एक किलो टमाटर छांट छांट कर डालूंगा, पर फिर सब्जी वाले को आधा किलो ही तोलने को कहूंगा। जब वह साथ में हरी मिर्च, धनिया देने से इनकार करेगा तो उसे मन ही मन खरी खोटी सुनाऊंगा हर बार की तरह। घर में दाल गाढ़ी बनाने के इरादे से बीवी कुकर में दो कटोरी दाल डालेगी, पर फिर उसमें से आधी कटोरी कल के लिए उठा लेगी और उसमें एक कटोरी पानी ज्यादा डाल देगी। हर बार की तरह गोभी के फूल के पत्ते पहले किनारे फेंके जाएंगे, पर बाद में फिर गोभी में ही काट दिए जाएंगे। पिछले साल की ही तरह कड़ाही में तडक़े को पहले दो कड़छी तेल डाला जाएगा, फिर उसमें से आधी कड़छी अगले कल के लिए उठा ली जाएगी। बिजली का बिल जेब से अधिक न आए, इसलिए गीजर को ऑन करने के बाद तुरंत बंद कर गुनगुने पानी से ही गंगा स्नान कर लूंगा। बीमारी का क्या! आदमी है तो बीमारी है। इलाज हो न हो। अंत में तो मरना ही है। हां! सुबह ऑफिस जाकर साहब को हैप्पी न्यू ईयर जरूर कहूंगा और फिर रोज की तरह अपने सिर के गिनती के बचे बाल नोचता पेंडिंग फाइलों में उलझ जाऊंगा।'
Rani Sahu

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