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- पापड़ी चाट और फिश
संसद सत्र का लाइव टेलिकास्ट देखते हुए अचानक सवाल ने पूछा, ''पापड़ी चाट बड़ी या अधिनियम?'' जवाब उसे घूरते हुए बोला, ''मर्यादा में रहो। तुम इस तरह लोकतंत्र के मंदिर का अपमान नहीं कर सकते। क्या तुम्हें पता नहीं प्रधान सेवक ने पहली बार इस मंदिर में प्रवेश करने से पहले संसद की चौखट पर माथा टेका था। कम से कम उनका ़खयाल तो करो।'' यह सुनते ही सवाल भड़क उठा, ''मैं जब भी तुमसे प्रश्न पूछता हूं, तुम उत्तर देने की बजाय मुझे उलझाना शुरू कर देते हो। लगता है 'सवाल चने, जवाब गंदम' कहावत को बदलने का समय आ गया है। अब कहना चाहिए, 'सवाल चने, जवाब चूना'। वैसे आज जो सत्ताधीश संसदीय गरिमा की बात कर रहे हैं, विपक्ष में रहते हुए वे इसी तरह संसद और संसद के बाहर पापड़ी चाट बेचते थे।'' जवाब हंसते हुए बोला, ''काहे प्रश्नों में उलझ रहे हो? वास्तव में संसद और विधानसभाएं ही लोकतंत्र के मंदिर हैं। बेचारा लोक तो इन मंदिरों के बाहर बैठा हुआ भिखारी है।