सम्पादकीय

पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: अधर में लटकता नजर आ रहा है ब्रू आदिवासियों का पुनर्वास

Rani Sahu
7 Oct 2022 5:59 PM GMT
पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: अधर में लटकता नजर आ रहा है ब्रू आदिवासियों का पुनर्वास
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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
पंकज चतुर्वेदी
पिछले साल सरकार के प्रयासों से अपने लिए जमीन के एक टुकड़े की आस के लिए आशान्वित अपने ही देश में तीन दशक से शरणार्थी 'ब्रू' आदिवासियों के लिए त्रिपुरा में स्थानीय मिजाे और बंगाली समुदाय के कारण संकट के नए बादल छाते दिख रहे हैं। अप्रैल 2021 में त्रिपुरा सरकार ने संकल्प लिया था कि अगस्त 2022 तक 37 हजार रियांग अर्थात ब्रू आदिवासियों का पुनर्वास कर दिया जाएगा। लेकिन अन्य समुदाय के प्रतिरोध, पुनर्वास के लिए निर्धारित स्थान और मूलभूत सुविधाओं जैसे कई अन्य मुद्दों के चलते यह काम अधूरा है।
जान लें कि दिसंबर 2020 में ब्रू आदिवासियों को बसाने को लेकर हिंसा हुई थी और उसमें दो लोग मारे भी गए थे। इस बार जेएमसी अर्थात संयुक्त मोर्चा कमेटी, जिसमें नागरिक सुरक्षा मंच (एनएसएम) सहित कई संगठन शामिल हैं, ब्रू लोगों के जीवन यापन, आर्थिक स्थिति आदि मुद्दों के साथ सड़क पर हैं। एनएसएम का कहना है कि सरकार पहले से ही कंचनपुर उपखंड के गांवों में 540 ब्रू निर्वासितों को बसा चुकी है और अब किए गए समझौते के विपरीत 1250 और लोगों को बसाना चाहती है।
चूंकि यह एक छोटा सा इलाका है और यहां पहले से मिजाे और बंगाली जैसे देशज समाज के लोग सदियों से सामंजस्य और सौहार्द्र के साथ रहते हैं, ऐसे में यहां ब्रू लोगों को बड़ी संख्या में बसाने से जनसंख्या का आंकड़ा गड़बड़ाएगा और नए तरीके के तनाव उभर सकते हैं। एनएसएम की मांग इन शरणार्थियों को अन्य किसी इलाके में बसाने की है। जान लें ब्रू आदिवासियों के कोई 7364 परिवार जिनमें 38072 सदस्य हैं, पहले से ही कंचनपुर और उसके करीबी पानिसागर उप मंडल की शरणार्थी बस्ती में रह रहे हैं।
जनवरी 2020 में केंद्र सरकार, त्रिपुरा व मिजोरम सरकार और ब्रू आदिवासियों के बीच हुए चतुष्पक्षीय समझौते से उनकी स्थायी बसावट की जब बात शुरू हुई तो त्रिपुरा में उन्हें स्थायी रूप से बसाने की बात पर कुछ स्थानीय लोगों ने सड़कों पर उतर कर हिंसक प्रदर्शन किए थे। समझाैते के तहत त्रिपुरा में शेष रह गए 37136 ब्रू आदिवासियों को त्रिपुरा के चार जिलों में अलग-अलग स्थान पर बसाया जाना था।
इसके लिए केंद्र सरकार ने राज्य के लिए 600 करोड़ की कार्ययोजना को भी मंजूरी दी थी। पूर्वाेत्तर के त्रिपुरा में इन्हें स्थायी रूप से बसाने की बात हुई तो हिंसा भड़क गई। यह आदिवासी समुदाय अनुसूचित जनजाति परिपत्र में तो पीवीटीजी अर्थात लुप्त हो रहे समुदाय के रूप में दर्ज है, लेकिन ब्रू नामक जनजाति के इन लोगों का अपना कोई घर या गांव नहीं है। शरणार्थी के रूप में रहते हुए उनकी मूल परंपराओं, पर्यावास, कला, संस्कृति आदि पर संकट मंडरा रहा है।
Rani Sahu

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