सम्पादकीय

पंजशीर और तालिबान

Gulabi
4 Sep 2021 5:47 AM GMT
पंजशीर और तालिबान
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चल रहे सप्ताह में जब पूरा विश्व पैरा ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले अपने अपने देश के खिलाडिय़ों के अच्छे प्रदर्शन का जश्न मना रहा है

दिव्याहिमाचल.

चल रहे सप्ताह में जब पूरा विश्व पैरा ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले अपने अपने देश के खिलाडिय़ों के अच्छे प्रदर्शन का जश्न मना रहा है, उसी वक्त एशिया में हिमालय के पूर्व में स्थित देश अफगानिस्तान में चल रही उथल-पुथल पर दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाने वाले और अपने आप को विश्व शक्ति कहने वाले मुल्कों की कथनी और करनी के फर्क का जीता जागता प्रमाण है। अफगानिस्तान में जिस तरह से अमेरिकन सेना के वापस लौटने के बाद तालिबानियों ने कब्जा कर लिया है तथा लगभग पूरे विश्व ने इस पर चुप्पी साध रखी है, वह इक्कसवीं सदी में चांद और मंगल की बात करने वाले धरती के रखवालों के लिए शर्म का विषय है। पर अगर इसी संदर्भ में दूसरे पहलू को देखें तो शायद विश्व यह भी देख रहा है कि वह किस की सहायता करने जाए, क्योंकि देश का राष्ट्रपति मुल्क छोड़ कर जा चुका है तथा सेना तालिबान के आगे पहले ही हथियार डाल चुकी है। तालिबान अपने ढंग से सरकार बनाने की योजना बना रहा है। पर जिस तरह से तालिबान के विरोध में पंजशीर घाटी के अहमद मसूद के नेतृत्व में 9000 लड़ाकों ने मोर्चा संभाला है, उसे देख कर विश्व के बड़े देशों को तालिबान से मुकाबला करने के लिए अफगानिस्तान में किसका साथ देना है, इसका अंदाजा हो गया है। अमेरिकी कैबिनेट में पंजशीर को अलग देश की मान्यता देने की चर्चा भी चल रही है तथा उसी घाटी में अमेरिका अपना आर्मी बेस बनाने की सोच रहा है। पंजशीर में नार्दर्न अलायंस और तालिबान के बीच अभी भी संघर्ष जारी है। पंजशीर घाटी की पहाड़ी चोटियों पर वहां के जवानों ने हैवी मशीन गन डिप्लाय कर दिए हैं, जिससे तालिबानियों का शिकार किया जा सके।
खबर यह भी है कि कई तालिबान लड़ाके मार दिए गए हैं या बंदी बना लिए हैं। पंजशीर घाटी को चारों तरफ से घेरने का दावा करने वाले तालिबान का मानना है कि कुछ ही दिनों में नार्दर्न अलायंस की सेना ढेर हो जाएगी, क्योंकि उनकी जरूरत के सामान के रास्ते बंद कर दिए गए हैं। उसके जवाब में पंजशीर के नेताओं का कहना है कि उनके पास जरूरत की चीजों एवं रसद का भंडारण पर्याप्त मात्रा में हो रखा है और वे कई महीनों तक तालिबान से लोहा लेने में सक्षम हैं। पंजशीर लड़ाकों के सेनापति अहमद मसूद के पिता अहमद शाह मसूद एक जाने-माने लड़ाके थे जिन्होंने अपने जीते जी तालिबान और सोवियत संघ को पंजशीर पर कभी कब्जा नहीं करने दिया। तालिबान के प्रवक्ता का मानना है कि वह पंजशीर से शांति समझौता करने के पक्ष में हैं और इस संदर्भ में वह उन लोगों के साथ संपर्क में हैं। पंजशीर घाटी में मूल रूप से ताजिक मूल के लोग हैं तथा यह घाटी रणनीतिक तौर पर भी जवानों को प्राकृतिक सुरक्षा मुहैया कराती है। अफगानिस्तान के हालात को देख कर यह तो जाहिर है कि कोई भी देश किसी दूसरे देश के सहारे सुरक्षा की बात नहीं कर सकता। दूसरा देश आपकी सहायता तभी कर सकता है जब आप अपने देश के नागरिकों की रक्षा के लिए लडऩे का दम रखते हैं। हमें गर्व है कि हमारे प्यारे भारत देश की जांबाज सेना हमारी सरहदों एवं नागरिकों की सुरक्षा करने में सक्षम है।

कर्नल (रि.) मनीष धीमान
स्वतंत्र लेखक


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