सम्पादकीय

महामारी, मानवता और मुनाफा

Gulabi
9 Feb 2021 9:04 AM GMT
महामारी, मानवता और मुनाफा
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मानवीय दृष्टि से देखें तो महामारी के वक्त मुनाफे की फिक्र किसी भी रूप में जायज नहीं कही जा सकती। लेकिन

मानवीय दृष्टि से देखें तो महामारी के वक्त मुनाफे की फिक्र किसी भी रूप में जायज नहीं कही जा सकती। लेकिन दुनिया की बड़ी दवा कंपनियां अपने इस लालच को छोड़ने को तैयार नहीं हैं। गौरतलब है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) के सामने एक प्रस्ताव रखा है, जिसमें कहा गया है कि अगर कोरोना की वैक्सीनों को कुछ समय के लिए बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकार कानूनों से बाहर कर दिया जाए, तो महामारी से लड़ने में आसानी होगी। लेकिन अमीर देश प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। भारत और दक्षिण अफ्रीका की दलील है कि आईपी अधिकार से छूट मिलते ही गरीब देशों की दवा निर्माता कंपनियां असरदार वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर पाएंगी। भारत दुनिया में सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता देश है और सस्ते भावपर इनके सप्लायर के रूप में उसकी पुरानी प्रतिष्ठा रही है। खबरों के मुताबिक भारत और दक्षिण अफ्रीका ने इस मुद्दे को लेकर अक्टूबर 2020 में डब्लूटीओ में अपनी पहल की।


आईपी अधिकार को निलंबित करने का मतलब यह होगा कि वैक्सीनों से जुड़े इंडस्ट्रियल डिजायन, कॉपीराइट और उनकी गोपनीय जानकारी साझा की जा सकेगी। इससे कोविड-19 से असरदार तरीके से निपटने में मदद मिलेगी। मगर अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। इन देशों का कहना है आईपी अधिकार निलंबित करना दवा निर्माता कंपनियों पर डाका डालने जैसा है। इससे मौलिक खोज करने वालों को धक्का लगेगा। वैक्सीनों के लिए की गई रिसर्च और इनके निर्माण में बहुत ज्यादा पैसा खर्च किया गया है। अमीर देशों का कहना है कि महामारी के इस दौर में वैक्सीन निर्माता कंपनियां रात दिन एक कर प्रोडक्शन कर रही हैं। इस दौरान वायरस म्यूटेट भी हो रहा है, लिहाजा ऐसे नाजुक दौर में आईपी अधिकारों को निलंबित करना नुकसानदेह हो सकता है। मगर असलियत यह है कि कई अमीर देश अपनी जनसंख्या से कहीं ज्यादा कोरोना वैक्सीन ऑर्डर करने की वजह से भारी आलोचना झेल रहे हैं। वहीं गरीब देश वैक्सीन की सप्लाई पाने के लिए परेशान रहे हैं। यही कारण है कि डब्लूटीओ में इस मुद्दे पर बातचीत हो रही है। कठोर सच्चाई यह है कि वायरस किसी सीमा को नहीं जानता। ये पूरे विश्व में घूमता है। लिहाजा इससे निपटने का तरीका भी वैश्विक होना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय एकजुटता को इसका आधार बनाया जाना चाहिए। वरना वायरस घूम-फिर कर पूरी दुनिया मे वार करता रह सकता है।


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