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- पाकिस्तान की दोहरी
अफगानिस्तान में तालिबान का बढ़ता हुआ कब्जा न केवल वहां की अशरफ गनी सरकार और आजाद ख्याल जनता के लिए बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों में यकीन रखने वाले दुनिया भर के लोगों के लिए चिंता की बात है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) की विदेश मंत्रियों की बैठक में अफगानिस्तान को लेकर कोई सर्वमान्य फॉर्म्युला निकालने की जरूरत बताई। अब तक अफगानिस्तान में शांति स्थापना के जितने प्रयास हुए हैं, उन सबमें पाकिस्तान शामिल रहा है। इस बीच, वह तालिबान लड़ाकों का समर्थन भी करता रहा है। खबर है कि न केवल पाकिस्तानी फौज के वरिष्ठ और अनुभवी ऑफिसर उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं बल्कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी भी इन हमलों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। तालिबान ने अगर हेरात में सलमा डैम पर मोर्टार से हमला किया तो उसे इसी संदर्भ में देखना होगा। इसे आधिकारिक तौर पर 'अफगान-भारत फ्रेंडशिप डैम' कहा जाता है। इस डैम के लिए पैसा भारत ने लगाया था। इससे अभी 42 मेगावॉट बिजली पैदा होती है और करीब 75 हजार एकड़ जमीन की सिंचाई भी।