सम्पादकीय

पाकिस्तान: सियासत की पथरीली पिच को समझने में आखिर कहां मात खा गए इमरान खान?

Rani Sahu
1 April 2022 10:46 AM GMT
पाकिस्तान: सियासत की पथरीली पिच को समझने में आखिर कहां मात खा गए इमरान खान?
x
सियासत की पथरीली पिच को समझने में आखिर कहां मात खा गए इमरान खान?

नरेन्द्र भल्ला

हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में इस वक्त सियासत का एक ऐसा खेल चल रहा है जहां क्रिकेट के मैदान से राजनीति में कूदकर वजीरे आज़म बनने वाले इमरान खान को अभी भी ये यकीन है कि वो इस सियासी गेम के अंतिम ओवर की आखिरी बॉल पर भी छक्का लगाकर फतह हासिल कर सकते हैं. हालांकि जिस हकीकत को पाकिस्तान का 22 करोड़ अवाम हर रोज अपनी आंखों से देख रहा है उस पर पर्दा डालने के लिए उन्होंने अपने आखिरी सियासी हथियार का इस्तेमाल किया है.
एक रहस्य भरी चिट्ठी का हवाला देते हुए वे बीते रविवार से ही अवाम को ये भरोसा दिलाने में लगे हुए थे कि उनकी सरकार को गिराने के लिए विदेशी साजिश है और वहीं से पैसा भी आ रहा है. लेकिन गुरुवार की शाम सरकारी टेलीविजन पर मुल्क से मुखातिब होते हुए इमरान खान अपनी इस सियासी लड़ाई में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी घसीट लाये. उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में पाक के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ और मोदी के बीच नेपाल में हुई गुप्त मुलाकात का भी जिक्र किया और इसके लिए भारत की एक चर्चित महिला पत्रकार की किताब का हवाला भी दे डाला.
लेकिन पाकिस्तान की सियासत के जानकार मानते हैं कि इमरान खान इस चिट्ठी के पीछे कल तक अमेरिका की तरफ इशारा कर रहे थे लेकिन आज उन्होंने हिंदुस्तान के पीएम मोदी और नवाज़ के रिश्तों का जिक्र छेड़कर ये ज़ाहिर कर दिया कि वे सियासत की सबसे कमजोर सीढ़ी पर खड़े हैं जो संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होते ही उन्हें अर्श से फर्श पर ले आयेगी. हालांकि वे ये भी कहते हैं कि इमरान के इस सियासी ड्रामे की स्क्रिप्ट लिखने में चीन का भी अहम रोल हो सकता है क्योंकि फिलहाल ड्रैगन के रिश्ते न तो अमेरिका से अच्छे हैं और न ही भारत से. लेकिन चीन चाहते हुए भी इमरान की कुर्सी को बचा सकता है इस पर यकीन करना नामुमकिन है.
मुल्क के सियासी गणित को देखते हुए पाकिस्तान की राजनीति के जानकार अगर ये दावा कर रहे हैं तो जाहिर है कि उनकी इस दलील में भी कुछ तो दम होगा ही. हालांकि दुनिया जानती है कि पाकिस्तान ने चीन के इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने के लिए अपने जो दरवाजे खोले थे आज उसकी कीमत ही उसे चुकानी भी पड़ रही है. भारत में आतंकवाद को सप्लाई करने वाले पाकिस्तान की असलियत ये है कि वो आज कर्ज़ के जंजाल में जिस बुरी तरह से जकड़ा हुआ है उसे इमरान खान को हटाकर आने वाली संयुक्त विपक्ष की सरकार भी अगले कई सालों तक नहीं चुका पायेगी. बाकी इस्लामिक मुल्कों की बात तो छोड़ ही दीजिये सिर्फ चीन से ही पाकिस्तान ने 1.84 लाख करोड़ रुपये का कर्ज ले रखा है.
यही वजह है कि इमरान अब तक न सिर्फ चीन के इशारों पर चलते आ रहे थे बल्कि उसकी हिदायत पर ही वे रूस-यूक्रेन में हो रही खतरनाक जंग के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने मास्को भी जा पहुंचे थे. अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों के लिये इमरान का वह रूस दौरा दोस्ती व दुश्मनी के बीच एक ऐसी लाइन खींचने वाला साबित हुआ जिसमें इमरान खुद को बेकसूर साबित करने के लिए सात गरम तवों पर भी बैठ जाते तब भी अमेरिका उन पर यकीन नहीं करता.
शायद यही वजह है कि पाकिस्तान के सियासी विशेषज्ञ इस सच को मानने से बिल्कुल भी नहीं डर रहे हैं कि इमरान खान ने चीन की गोद में बैठकर अमेरिका से पंगा लेने की बहुत बड़ी गलती की है जिसका खामियाजा पूरे मुल्क को भुगतना पड़ रहा है. इमरान खान ने कल अपनी जनता से मुखातिब होते हुए विपक्षी दलों पर हमला करने से लेकर अपनी कौम और इस्लाम को बचाने के लिए भी बहुत बड़ी-बड़ी बातें कही हैं. कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने अपने उस भाषण के जरिये अवाम की इमोशनल ब्लैकमेलिंग करने की भरपूर कोशिश भी की है. उन्होंने मौलाना रूमी का जिक्र करते हुए कहा कि, "अल्लाह ने जब आपको पर दिए हैं तो आप क्यों चीटियों की तरह रेंग रहे हैं." साथ ही उन्होंने ये सफाई भी दी कि वो लोगों का नजरिया बदलने के लिए ही राजनीति में आए हैं और उनका इंसाफ-इंसानियत और खुद्दारी ही एकमात्र एजेंडा है.
किसी भी देश का कोई भी नेता अपनी मासूमियत भरी शक्ल दिखाते हुए जब इतने भारी-भरकम शब्दों का इस्तेमाल करता है तो वहां की जनता भी इस मुखौटे की पीछे छुपे असली चेहरे को पहचान लेती है कि आखिर उनका वज़ीरे आज़म ऐसा क्यों बोल रहा है और उसका मकसद क्या है. अगर आप पाकिस्तान के न्यूज़ चैनलों को देखेंगे तो हर तरफ वहां का आम शख्स ये पूछ रहा है कि अगर वाकई अल्लाह ने आपको इतने पर दे रखे हैं तो फिर आप अपनी सल्तनत बचाने के लिए चींटियों की तरह क्यों रेंग रहे हैं? वे तो ये भी सवाल पूछ रहे हैं कि इंसाफ और खुद्दारी की बात करने वाले इमरान खान ने पिछले साढ़े तीन सालों में उन्हें जहालत, ज़लालत, महंगाई और कर्जदार बनाने की जिंदगी के सिवा और दिया ही क्या है?
इमरान खान के राष्ट्र के नाम दिए संबोधन के बाद पाकिस्तान के एक न्यूज चैनल के रिपोर्टर ने लाहौर की फूड स्ट्रीट कहे जाने वाले इलाके में जाकर वहां के लज़ीज पकवानों का स्वाद ले रहे मर्दों व औरतों से एक बेहतरीन सवाल पूछा था. सवाल ये था कि "क्या इमरान खान की सरकार चले जाने से आपकी जिंदगी में बदलाव आ जायेगा?" उस रिपोर्टर को कई तरह के जवाब मिले लेकिन एक खातून से मिले जवाब को उस चैनल ने सबसे ज्यादा हाई लाइट किया. उन मोहतरमा का जवाब ये था कि "बेट-बॉल से खेलने वाले को अगर हम मुल्क के सबसे बड़े ताज पर बैठा देंगे तो वह उसे भी क्रिकेट का मैदान समझकर अवाम की उम्मीदों से खेलता रहेगा. हम भी वही झेल रहे हैं. इस मायने में हमारे पड़ोसी हिंदुस्तान के पंजाब प्रांत के लोग बेहद सयाने निकले जिन्होंने इमरान के खास दोस्त नवजोत सिंह सिद्धू को उस कुर्सी पर नहीं बैठाया. लिहाज़ा सरकार किसी की भी बने लेकिन उसे सियासत का तजुर्बा तो होगा और वो एक खिलाड़ी से बेहतर ही साबित होगा."
Next Story