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संजीव चौहान। हथियारों, गोला बम-बारूद के बलबूते 'रक्त-रंजित' या कहिए 'खूनी पॉवर' की खातिर जब से अफगानिस्तान (Afghanistan) में 'तबाही' का खौफनाक मंजर जमाने के सामने पेश आया है तभी से दुनिया को, हिंदुस्तान (India) के धुर-विरोधी चीन-पाकिस्तान (China-Pakistan) की बाछें खिली-खिली सी नजर आ रही हैं. 'आजादी' हासिल करने की दुहाई देकर 'खूनी-खेल' भले ही अफगानिस्तान में उनके 'अपनों' के बीच खेला जा रहा हो. जीत-हार की जंग भले ही खूनी या कहिए दुनिया भर की नजरों में कट्टर तालिबानी (Taliban) लड़ाकों और अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार (अब जबरिया बर्खास्त हुकूमत) के बीच क्यों न चल रही थी. भले ही चीन और पाकिस्तान को इस खूनी जंग के दौरान, बीच में और फिर अंत में, कुछ हासिल न हो सका हो. इस सबके बाद भी मगर चीन-पाकिस्तान में जश्न का जो आलम है उसे देखकर किसी भी स्वाभिमानी देश या इंसान का सिर शर्म से झुक जाएगा और इंसानियत तो किस कदर अफगानिस्तान में तार-तार होकर रो रही है, दुनिया के सामने है.