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ऐसे में, देखना यह है कि पाकिस्तान की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है।
इमरान खान को पाकिस्तान की सत्ता संभाले साढ़े तीन साल हो चुके हैं। अभी तक तो वह सरकार बचाने में सफल रहे हैं, लेकिन अब आगे ज्यादा देर तक बचे रहना मुश्किल नजर आता है। इमरान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी काफी कमजोर हो गई है और साख खो चुकी है। पार्टी को स्थानीय निकाय चुनाव में मिली करारी हार इमरान की लोकप्रियता में आई कमी का इशारा करती है।
इमरान ने सत्ता में आने से पहले पाकिस्तान के गरीब नागरिकों से बड़े लुभावने वादे किए थे, जो पूरे नहीं हो सके, जैसे बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना, महंगाई ओर बेरोजगारी कम करना व भ्रष्टाचार पर नकेल कसना इत्यादि। द डॉन के अनुसार, हाल ही में इमरान खान ने माना है कि वह देश में बदलाव लाने में विफल रहे हैं। सच तो यह है कि इमरान खान का नया पाकिस्तान बनाने का सपना पूरा नहीं हो सका।
पाकिस्तान की टैक्स एजेंसी के पूर्व प्रमुख जैदी ने कहा है कि पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। चालू खाता घाटा (सीएडी) वित्त वर्ष की पहली छमाही में नौ अरब डॉलर को पार कर चुका है, जो जीडीपी का 5.7 प्रतिशत है। अगर सीएडी इसी तरह बढ़ता रहा, तो पाकिस्तान कर्ज के जाल से निकल नहीं पाएगा। पाकिस्तान पर घरेलू और विदेशी कर्ज 50 हजार अरब पाकिस्तानी रुपये से भी ज्यादा हो चुका है।
पाकिस्तान के पास कर्ज चुकाने के पैसे नहीं है। इमरान खान के कार्यकाल में सरकार ने 20.7 खरब पाकिस्तानी रुपये का नया कर्ज लिया है। चंद दिनों पहले इमरान 300 अरब डॉलर के कर्ज की उम्मीद में चीन गए थे, जो पूरी नहीं हो सकी। जब तक पाकिस्तान का नाम एफएटीएफ की ग्रे सूची में शामिल है, तब तक उसे नया कर्ज भी नहीं मिल सकता। देश में महंगाई आसमान छू रही है। पाक रुपये की कीमत निचले स्तर पर है।
फैक्टरियां और काम-धंधे बंद होने से बेरोजगारी और बढ़ गई है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इमरान खान सरकार को आसफ अली जरदारी और नवाज शरीफ सरकार से कहीं अधिक भ्रष्ट बताया है। भ्रष्टाचार सूचकांक में पाकिस्तान जहां 2018 में 112वें पायदान पर था, वहीं साल 2021 में 140वें पायदान पर पहुंच गया है।
इधर पाकिस्तान चुनाव आयोग ने इमरान खान और उनकी पार्टी के अधिकारियों द्वारा विदेश से मिलने वाले चंदे में भारी हेराफेरी की बात कही है। वहां के गृहमंत्री शेख रशीद ने स्वीकार किया है कि सरकार भ्रष्टाचार रोकने में विफल रही है। पाकिस्तान के मित्र देशों ने भी उसे मदद देने से हाथ पीछे खींच लिए हैं। सऊदी अरब ने पाकिस्तान में 10 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाली रिफाइनरी लगाने के लिए इनकार कर दिया है।
चीन यात्रा पर इमरान ने एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा, ताकि चीन इसमें हस्तक्षेप करे। लेकिन चीन ने कहा कि इस मुद्दे को यूएन चार्टर के प्रस्ताव और द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए। रूस ने भी साफ कह दिया है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है और मास्को इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा। पाकिस्तान के अमेरिका से रिश्ते भी इन दिनों सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं।
अफगानिस्तान के साथ भी संबंधों में दरार आनी शुरू हो गई है। कट्टरपंथी अब बेखौफ अल्पसंख्यकों के धर्मस्थलों, मूर्तियों, मंदिरों, गुरुद्वारों को नष्ट कर रहे हैं। सेना के साथ भी इमरान खान के संबंध बिगड़ गए हैं। पाक सेना प्रमुख जनरल बाजवा आगामी 28 नवंबर, 2022 को अपने पद विस्तार के तीन साल पूरा करने जा रहे हैं। चर्चा है कि इससे पहले सेना इमरान खान को हटाकर किसी और नेता को तैनात कर देगी और फिर चुनाव कराकर नई सरकार कायम करेगी।
उधर पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने इमरान के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। ऐसी खबरें भी हैं कि संसद में पीडीएम के सांसद इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की सोच रहे है। एक अफवाह यह भी है कि इमरान खान मुल्क में आपातकाल लगा सकते हैं। इससे पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है। ऐसे में, देखना यह है कि पाकिस्तान की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है।
सोर्स: अमर उजाला
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