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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
इस्लामाबाद:पाकिस्तान जिस तरह से इन दिनों अपनी घरेलू समस्याओं से देश की जनता का ध्यान बंटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का राग अलाप रहा है, उससे वह एक प्रकार से अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार रहा है.
हाल ही में उसने संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस-यूक्रेन संकट के दौरान कश्मीर की तुलना यूक्रेन से करने की कोशिश की, जिसका संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने करारा जवाब दिया.
कजाकिस्तान में पाक ने कश्मीर को लेकर भारत पर लगाए झूठे आरोप
उधर कजाकिस्तान में आयोजित कॉन्फ्रेंस ऑफ इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स इन एशिया में भी पाक ने कश्मीर को लेकर भारत पर झूठे आरोप लगाए, जिसके जवाब में भारत की उप विदेश मंत्री मीनाक्षी लेखी ने पाकिस्तान को दुनिया को लेक्चर देने की जगह अपने घर को व्यवस्थित करने की नसीहत दी.
इतना ही नहीं बल्कि पाकिस्तान ने रवांडा की राजधानी किगाली में आयोजित इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन में भी कश्मीर मुद्दे का जिक्र किया, जिस पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि वह इस मंच का दुरुपयोग करने के बजाय भारत विरोधी आतंकवाद को तुरंत बंद करे.
अपनी आर्थिक हालत को ध्यान न देकर पाक उठाता है कश्मीर का मुद्दा
यह सचमुच ही बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान अपनी बद से बदतर होती आर्थिक हालत के बावजूद उस पर ध्यान देने के बजाय कश्मीर मुद्दे के पीछे पड़ा है. हालांकि उसे अच्छी तरह से मालूम है कि वह इससे हासिल कुछ भी नहीं कर पाएगा, क्योंकि दुनिया को मालूम है कि पाकिस्तान ही कश्मीर में आतंकवाद को प्रश्रय देकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश करता रहा है.
इसलिए पाकिस्तान के साथ झूठी सहानुभूति दर्शाने या इस मुद्दे पर उसके साथ होने का दिखावा भी केवल वही राष्ट्र करते हैं जिनको पाकिस्तान से अपने स्वार्थ साधने होते हैं या जो भारत के प्रति शत्रुताभाव रखते हैं.
चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तान को हमेशा करता है इस्तेमाल
जैसे कि चीन ने भारत के साथ दुश्मनी रखने के कारण ही हमेशा पाकिस्तान का साथ दिया है. लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरान इस तथ्य से हमेशा आंख चुराने की कोशिश करते हैं कि पाक की आर्थिक बदहाली को दूर करने में अगर कोई देश सर्वाधिक प्रभावी भूमिका अदा कर सकता है तो वह भारत ही है.
भारत ने पाकिस्तान की हरसंभव मदद करने की कोशिश भी की है. पिछले दिनों भयावह बाढ़ से पाकिस्तान को होने वाली व्यापक क्षति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख भी जताया था. लेकिन पाकिस्तान के शासकों को जनता की हालत सुधारने के बजाय किसी भी तरह से सत्ता हथियाए रखने में ही शायद ज्यादा रुचि है.
पाकिस्तान के आवाम को सरकार को देखाना चाहिए आईना
हालांकि भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए आतंकवाद के जिस भस्मासुर को वह पालता-पोसता है, वह उसे भी कम क्षति नहीं पहुंचाता, लेकिन इसके बावजूद वहां के शासक सच्चाई का सामना करने की कोशिश नहीं करते हैं.
इसलिए अगर वहां की जनता ही अपने शासकों को आईना दिखाए और कश्मीर का राग अलापने के बजाय उन्हें भारत के साथ संबंध बेहतर रखने के लिए मजबूर करे, तभी उसका आर्थिक बदहाली के दलदल से बाहर निकल पाना संभव है.
Rani Sahu
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