सम्पादकीय

मुश्किल दौर में पाकिस्तान : बाढ़-बीमारी की मार के बाद सर्द मौसम का सितम और इमरान का 'हकीकी आजादी मार्च'

Neha Dani
1 Nov 2022 1:44 AM GMT
मुश्किल दौर में पाकिस्तान : बाढ़-बीमारी की मार के बाद सर्द मौसम का सितम और इमरान का हकीकी आजादी मार्च
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इसी तरह चलती रही, तो पाकिस्तान को भयानक हालात का सामना करना पड़ेगा।
पाकिस्तान इन दिनों मुश्किल दौर से गुजर रहा है। बाढ़ द्वारा तबाही मचाने के बाद अब वहां डूबे हुए क्षेत्रों में बीमारियां फैल रही हैं। सर्दी का मौसम भी आ गया है। महंगाई आसमान छू रही है और आम जनता का जीना मुश्किल हो गया है। राजनीतिज्ञों द्वारा आरोप लगाने व धमकियां देने का सिलसिला भी लगातार जारी है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर लाहौर से इस्लामाबाद तक लांग मार्च शुरू कर दिया है। इसे 'हकीकी आजादी मार्च' का नाम दिया गया है, जो चार नवंबर को इस्लामाबाद पहुंचेगा।
अपने समर्थकों के साथ इमरान की इस्लामाबाद में तब तक धरने की योजना है, जब तक नए सिरे से चुनाव नहीं कराए जाते। उनका कहना है कि देश के फैसले पाकिस्तान में हों, न कि लंदन या वाशिंगटन में। उनका यह भी मानना है कि भारत एक स्वतंत्र देश और मजबूत राष्ट्र है, वहीं पाक शासक गुलाम हैं। इमरान खान का यह बयान सेना और आईएसआई से टकराव के बीच में आया है। उन्होंने कहा है कि आजाद देश के लिए ताकतवर फौज चाहिए। सेना से आमने-सामने के टकराव से जानी नुकसान तो होगा ही, इससे देश की छवि भी खराब होगी।
अगले साल वहां चुनाव होनेवाले हैं। ऐसे में, यह मुद्दा आपसी बातचीत से तय किया जा सकता है। इसके लिए इमरान को अपनी जिद छोड़नी होगी। इमरान खान अपने विरोधियों को चोर व देश को लूटने वाले डाकू समझते हैं। वह पुलिस अफसरों को धमकियां देते रहे हैं। अब नौबत यहां तक आ गई है कि अदालत में केस की सुनवाई के दौरान महिला न्यायाधीश को भी उन्होंने धमकी दे दी, जिस कारण उनके खिलाफ मुकदमा दायर हो गया। आखिरकार बिना किसी शर्त इमरान को माफी मांगनी पड़ी। इससे पहले भी इमरान खान तौहीन-ए-अदालत करते रहे हैं।
इससे इमरान के साथ उनकी पार्टी की बदनामी हुई है और लोगों का भरोसा कम हुआ है। सत्ता से हटने के बाद से ही इमरान खान बौखलाए हुए हैं और दोबारा सत्ता पाने के लिए जल्द चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। हाल ही में हुए संसद की आठ खाली सीटों के लिए उपचुनाव में उनकी पार्टी ने सात पर चुनाव लड़ा, जिनमें से छह पर उसे सफलता हासिल हुई। उनके समर्थकों ने इस जीत पर खुशियां मनाईं। इमरान खान का मानना है कि अगर चुनाव इसी साल कराए जाएं, तो उनकी पार्टी बहुमत के साथ सत्ता में आएगी।
पर ऐसा शायद ही हो, क्योंकि जिन सीटों पर पार्टी जीती है, वे उनकी पार्टी के सांसदों ने ही खाली की थी। इमरान खान यह भी चाहते थे कि चुनाव तक सेना प्रमुख जनरल जावेद बाजवा सेवा में बने रहे, क्योंकि नए सेना प्रमुख को हालात को समझने में समय लगेगा। जबकि जनरल बाजवा का अब सेवा विस्तार लेने का इरादा नहीं है। पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने इमरान खान को पांच साल के लिए अयोग्य करार भी दे दिया है। इमरान पर तोशाखाना में रखे गए सरकारी कीमती उपहारों को कम कीमत पर खुद खरीदने और फिर बड़ी कीमत पर बेचने का आरोप है।
इमरान बेचने से हुई कमाई का ब्योरा नहीं दे पाए, इसलिए उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया है। इमरान का मानना है कि चुनाव आयोग ऐसे भ्रष्टाचार के मामले के फैसले नहीं दे सकता। इसलिए उन्होंने उच्च न्यायालय, इस्लामाबाद में याचिका दायर कर दी। कोर्ट ने आदेश को तत्काल खारिज करने या स्थगित करने का उनका अनुरोध स्वीकार नहीं किया, पर इतना जरूर स्पष्ट किया कि उन्हें चुनाव लड़ने के अयोग्य नहीं करार दिया गया, बल्कि यह आदेश संसद के मौजूदा कार्यकाल भर के लिए है। इस फैसले से भी इमरान समर्थक संतुष्ट नहीं हैं और हिंसा फैला रहे हैं।
शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार भी दूध की धुली हुई नहीं है। वह बराबर इमरान खान और उनकी पार्टी की आलोचना करती रहती है। शरीफ सरकार ने सत्ता में आठ महीने पूरे कर लिए हैं। पर उसने जनता की मुश्किलें दूर करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। शरीफ सरकार अगले साल अगस्त में चुनाव कराना चाहती है। उम्मीद की जा रही है कि तब तक नवाज शरीफ पर पाकिस्तान की अदालतों में चल रहे सभी मुकदमे खत्म हो जाएंगे और वह लंदन से पाकिस्तान लौट आएंगे। गर्ज यह कि अगर रस्साकशी इसी तरह चलती रही, तो पाकिस्तान को भयानक हालात का सामना करना पड़ेगा।

सोर्स: अमर उजाला

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