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सम्पादकीय
नए पुराने की बहस में उलझा पाकिस्तान, अब क्या करेंगे इमरान ख़ान?
Gulabi Jagat
11 April 2022 7:35 AM GMT
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नए पुराने की बहस में उलझा पाकिस्तान
यूसुफ़ अंसारी।
पाकिस्तान (Pakistan Crisis ) में पूरे 33 दिनों से चला आ रहा सियासी ड्रामा नेशनल असेंबली में इमरान ख़ान (Imran Khan) की बुरी तरह हार के साथ ख़त्म हो गया है. इमरान ख़ान पाकिस्तान के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिए हटाया गया. अख़िरी गेंद तक खेल कर जीतने का दावा करने वाले इमरान ख़ान विपक्षी एकता को तोड़ने में नाकाम रहे और सदन के भीतर हार कर अपनी सरकार गंवा बैठै. 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली (National Assembly) में इमरान सरकार गिराने के लिए विपक्ष को 172 वोट की जरूरत थी, प्रस्ताव के समर्थन में 174 सदस्यों का साथ मिल गया और इसी के साथ इमरान सरकार गिर गई. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इमरान सरकार के गिरने के बाद मुस्लिम लीग यानी पीएमएल-(एल) के बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने ट्वीट करके कहा कि पुराना पाकिस्तान में आपका स्वागत है.
इमरान ने दिखाया था नया पाकिस्तान का सपना
दरअसल इमरान ख़ान नया पाकिस्तान बनाने का सपना दिखाकर सत्ता में आए थे. अपने प्रधानमंत्रित्व काल में वो बार बार नया पाकिस्तान बनाने की बात करते थे. लिहाज़ा उनके सत्ता से बाहर होते ही बिलावल का ये तंज़ तो बनता है. इसी के साथ पाकिस्तान में नए और पुराने पाकिस्तान पर बहस छिड़ गई है. इमरान ख़ान की सरकार के गिरने के बाद नवाज़ शऱीफ और बिलावल भुट्टो की पार्टियां उनके नए पाकिस्तान के नारे की विदाई पर जश्न मना रहा है तो इमरान खान की पार्टी तंज़ कर रही है कि पाकिस्तान को लुटेरों की घर वापसी मुबारक हो. पाकिस्तान की सियासत में एक दूसरे के खिलाफ़ जमकर जमकर बयानबाज़ी का दौर चल रहा है.
2018 में हुए आम चुनाव में इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने सबसे ज्यादा 149 सीटें जीती थीं. शहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग यानी पीएमएल-(एल) को 82 और बिलावल भुट्टो की पीपीपी को 54 सीटें मिलीं थीं. 342 सदस्यों वाली संसद में 172 बहुमत का आंकड़ा है. तब इमरान खान ने कुछ छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों की मदद से सरकार बना ली थी. तीन साल बाद इमरान खान से छोटी पार्टियों ने समर्थन वापस ले लिया. पीटीआई के कई सांसदों ने भी विपक्ष को समर्थन दे दिया.
इमरान ने आसानी से सत्ता नहीं छोड़ी. उन्हें नेशनल अंसेबली से बाक़ायदा बुरी तरह बेइज़्ज़त करके निकाला गया. चर्चा ये भी है कि उन्होंने जाते-जाते सेनाध्यक्ष कमर बाजवा को बर्खास्त करने की तैयारी कर ली थी. बहरहाल अब इमरान खान की सरकार गिरने के बाद यह सवाल उठना वाजिब है कि आखिर इमरान खान ने नया पाकिस्तान बनाने के नाम पर अपने कार्यकाल में क्या किया? अब आगे उनका भविष्य क्या होगा? सबसे पहले नज़र डालते हैं नया पाकिस्तान बनाने के नाम पर कौन सी गलतियां कर डालीं?
सेना से रिश्ते बिगाड़े
सेना से रिश्ते बिगड़ने की गलती इमरान को सबसे ज़्यादा भारी पड़ी. दरअसल 2018 में इमरान खान की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर जरूर उभरी थी लेकिन उसे पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. तब उन्हें सेना का साथ मिला और वह सरकार बनाने में कामयाब हुए.दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में सरकार किसी की भी हो, चलती सेना की ही है. शुरुआत में इमरान को सेना का साथ मिला, लेकिन पिछले कुछ समय से वह सेना के भी खिलाफ बोलने लगे थे. इससे सेनाध्यक्ष बाजवा और इमरान खान के रिश्ते खराब होने लगे. आखिरकार सेना ने इमरान सरकार के ऊपर से हाथ हटा लिया और विपक्ष को उनके खिलाफ एकजुट होने का मौका मिल गया.
काम की बजाय धर्म को बढ़ावा
इमरान ख़ान ने प्रधानमंत्री बनते ही अपने पहले भाषण में चौदह सौ साल पुरानी मदीना की पैगंबर मोहम्मद साहब की सरकार की तर्ज पर कल्याणकारी सरकार चलाने का बाद किया था. इसे व बार-बार दोहराते भी रहे. लेकिन हुए इसका एकदम उल्टा. महंगाई, गरीबी, पानी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को उबारने की बजाय इमरान खान ने धर्म की राजनीति शुरू कर दी. वह पूरी दुनिया में खुद को इस्लामिक देशों के मसीहा के रूप में पेश करने लगे. इमरान अपने हर भाषण में इस्लाम, इस्लाम और इस्लाम के बारे में ही बातें करते थे. इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और बिगड़ गई. हालात काफी खराब होने लगे और विपक्ष को सरकार गिराने का दूसरा मौका मिल गया.
चीन से नज़दीकी, अमेरिका से पंगा
बरसों से पाकिस्तान अपनी अर्थव्यव्सथा को चलान के लिए विदेशी कर्ज़े पर निरभर रहा है. सऊदी अरब के अलावा अमेरिका और चीन उसे सबसे ज़्यादा कर्ज देते रहे हैं. पहले की सरकारे अमरिका और चीन के बीच संतुलन बनाकर चतली रहीं लेकनि इमरान इसम गच्चा खा गए. इमरान खान ने आंख मूंदकर चीन पर भरोसा किया. चीन से खूब क़र्ज़ लिया. चीन के कर्ज़ के बोझ तले इमरान ने अमेरिका के ख़िलाफ़ बोलना शुरु कर दिया. इससे अमेरिका ने मदद देना बंद कर दिया. उधर, चीन भी क़र्ज़ चुकाने के लिए दबाव डालने लगा. इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से टूट गई. इससे इमरान के ख़िलाफ़ माहौल बनने लगा.
महंगाई के ऊपर टैक्स की मार
इमरान खान की सरकार बनते वक़्त महंगाई पाकिस्तान में सबसे बड़ा मुद्दा था. लेकिन इस पर लगाम लगाने के बजाए इमरान ने महंगाई की मार झेल रही जनता पर टैक्स का बोझ बढ़ा दिया. इससे आम लोग और परेशान हो गए. पिछले 6 महीनों से थोक महंगाई दर 24.3 फीसदी की दर से बढ़ी है. एक साल पहले टमाटर की कीमत 47.67 रुपए थी जो 8 अप्रैल को 154 रु पर पहुंच गया. प्याज़ के दाम एक साल में 34 से 62 रुपए पर पहुंच गए. वनस्पति घी का क़ीमतो में 57 % , गैस सिलेंडर में 79% और मटन की कीमतों में 24 % का इजाफा हुआ है. विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर इमरान को समर्थन देने वाली पार्टियों को अपने साथ मिला लिया. इमरान खान अल्पमत में आ गए और सरकार गंवा बैठे.
भ्रष्टाचार के नाम पर विपक्ष को परेशान किया
इमरान ख़ान ने सत्ता में आने के बाद सरकारी खर्चे कम करने और भ्रष्टाचार रोकने के लिए अभियान चलाने की बात की थी. लेकिन पुरानी सरकारों की तरह ही वो भी भ्रष्टाचार रोकने के नाम पर विपक्ष के नेताओं को परेशान करने पर उतर आए. शहबाज शरीफ, बिलावल भुट्टो से लेकर मौलाना फजल-उर-रहमान तक के आवास पर छापे पड़े. शहबाज शरीफ को तो जेल तकर जाना पड़ा. इससे विपक्ष एकजुट हो गया. इससे विपक्ष को इमरान ख़ान के खिलाफ़ एकजुट होने का बहाना और मौक़ा दोनो मिल गए. विपक्षी एकता को तोड़ने में इमरान पूरी तरह नाकाम रहे.
अब आगे क्या करेंगे इमरान?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अविश्वास प्रस्ताव पर अपनी सत्ता गंवा चुके इमरान के पास अब सिर्फ दो विकल्प हैं. पहला ये कि नई सरकार को स्वीकार कर चुनाव तक शांत बैठ जाएं. नई सरकार को चलने दें. उससे ज़्यादा पंगा न लें. दूसरा ये कि जिस तरह से वह जनता के बीच जाकर रैलियां कर रहे हैं, वो करते रहें. जनता को बताएं कि उनके ख़िलाफ़ साज़िश हुई है. इसस बात की की संभावना ज़्यादा है कि इमरान दूसरे विकल्प को अपनाएंगे. इमरान ख़ान अपनी सरकार गिरने के बाद किसी दूसरी सरकार केस पक्ष मे नहीं थे, वो दश में नए सिरे से चुनाव चाहते थे. इसी लिए उन्होंने डिप्टी स्पीकर को मैनेज करके अपने खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ख़ारिज करवाव दिया था और नेशनल असेंबली के साथ प्रांतीय असेंबलियां भी भंग करा दी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया. पाकिस्तान के मौजूदा राजनीति हालात में लगता नहीं कि इमरान आसानी से हार मानेंगे. उन्होंने अपनी सरकार गिराने के पीछे विदेशी साज़िश का आरोप लगाकर जनता के बीच माहौल बनाना शुरु कर दिया है.
रैलियों में इमरान लगातार विपक्ष के ख़िलाफ़ हमलावर हो रहे हैं. ऐसे में नई सरकार में आने के बाद विपक्ष उन पर कानूनी कार्रवाई शुरू करवा सकती है. अगर ऐसा हुआ तो इमरान जेल भी भेजे जा सकते हैं. हालांकि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बनने वाले शाहबाज़ शरीफ़ ने नेशनल असेंबली में ऐलान किया है कि वो बदले की कार्रवाई नहीं करेंगे. लेकिन पाकिस्तान का इतिहास बताता है कि सत्ता से हटने के बाद वहां के प्रधानमंत्री को जेल जाना पड़ा है. ज़ुल्फिक़ार अली भुट्टो को तो फांसी तक दी गई थी. उनके बाद उनकी बेटी बेनज़ीर भुट्टो और नवाज़ शऱीफ के अलावा सैन्य शासक रहे परवेज़ मुशर्रफ़ तक को जेल जाना पड़ा था. बहरहाल इन तमाम चुनौतियों का सामना अब इमरान ख़ान को करना पड़ेगा.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
Gulabi Jagat
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