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- प. बंगाल में भीषण...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इसमें अब कोई दो राय नहीं है कि प. बंगाल राज्य में विधानसभा चुनावों के लिए इस बार भीषण लोकतान्त्रिक युद्ध होगा। अगर हम इस राज्य के राजनीतिक इतिहास को खंगालें तो स्वतन्त्रता के बाद पहली बार राष्ट्रवादी विचारों का प्रत्यक्ष युद्ध धर्म निरपेक्ष और समाजवाद से अभिप्रेरित सैद्धांतिक विचारों से होगा। एक मायने में ये चुनाव भारत की राजनीति में सैद्धान्तिक लड़ाई को पुख्ता बनाने का काम भी कर सकते हैं जिनमें व्यक्ति की भूमिका संस्था से निचले पायदान पर होती है। जाहिर तौर पर राज्य की मुख्यमन्त्री सुश्री ममता बनर्जी इस युद्ध के केन्द्र में रहेंगी क्योंकि वह स्वतन्त्रता के बाद से इस राज्य में चली आ रही उस वैचारिक धारा का प्रतिनिधित्व करती हैं जिसके लिए यह राज्य अभी तक पहचाना जाता रहा है परन्तु इसके ठीक विपरीत इसी राज्य की वैचारिक गंगा से भाजपा (जनसंघ) के संस्थापक डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का भी उदय हुआ था जो मूल रूप से एक शिक्षा शास्त्री थे। अतः यह देखना बहुत ही दिलचस्प होगा कि भारत की आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बाद इस राज्य का वैचारिक विवेक कौन सा रुख अख्तियार करता है?