सम्पादकीय

वैक्सीन पर ब्रिटेन के 'नस्लवादी' रवैये से भारत में आक्रोश, लेकिन अभी इंग्लैंड न जाना बेहतर

Rani Sahu
21 Sep 2021 12:32 PM GMT
वैक्सीन पर ब्रिटेन के नस्लवादी रवैये से भारत में आक्रोश, लेकिन अभी इंग्लैंड न जाना बेहतर
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मेरा मानना है कि जब तक यूके हमें रेड लिस्ट से बाहर नहीं कर देता, किसी भी भारतीय को यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) नहीं जाना चाहिए.

बिक्रम वोहरा। मेरा मानना है कि जब तक यूके हमें रेड लिस्ट से बाहर नहीं कर देता, किसी भी भारतीय को यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) नहीं जाना चाहिए. लेकिन, ब्रिटेन की नई कोविड ट्रैवेल पॉलिसी के लिए केवल छाती पीट-पीटकर उसके नस्लवादी रवैये को कोसने के बजाए, हमें कुछ बेहद जरूरी बातों को समझ लेना चाहिए. असल में, कोरोना महामारी के बाद से ब्रिटेन ने अपने यहां यात्रा के लिए विभिन्न देशों की तीन श्रेणियां तय की हैं. बीते कुछ महीने पहले दिखावे के लिए हमें Red लिस्ट से उठाकर Amber लिस्ट में डाला गया था. तीसरी श्रेणी Green लिस्ट की है. हम मान रहे थे कि जल्द ही हमें ग्रीन लिस्ट में डाल दिया जाएगा. और हम इंग्लैंड की सड़कों पर घूमते नजर आएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके ठीक उलट, हमें फिर से रेड लिस्ट में डाल दिया गया.

इसमें कोई दो राय नहीं कि यह जायज नहीं है. क्योंकि ब्रितानी और भारतीय लोगों को एक ही प्रकार की कोविशील्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लग रही है. इसके बावजूद, वहां जाने पर हमें 10 दिन तक क्वॉरंटीन रहना होगा, जो कि ठीक बात नहीं लगती. जब यूरोप के नौ देशों ने भारतीय वैक्सीन को हरी झंडी दे दी है, तो फिर ब्रिटेन को क्या समस्या है?

फर्जी सर्टिफिकेट हासिल करने वाले अपनी जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं
कोवैक्सीन लगाने वालों को अपने यहां आने से रोकने की बात, तो फिर भी समझ में आती है, क्योंकि इसे अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी नहीं मिली है. लेकिन कोविशील्ड को लेकर ब्रिटेन क्यों नकारात्मक रवैया अपना रहा है? क्या उसे पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट के उत्पाद (कोविशील्ड) में कोई कमी नजर आती है? बीते हफ्ते भारत में फर्जी वैक्सीन सर्टिफिकेट बांटने की खबरें आई थीं. इसके मुताबिक, 5,500 रुपये में, बिना वैक्सीन लगवाए, आप सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं. यह बात कितनी सही है, यह मैं नहीं जानता, लेकिन मैं उन लोगों के बारे में सोच रहा हूं जो अपनी जिंदगी को जोखिम में डालकर इस तरह के फर्जी सर्टिफिकेट हासिल कर रहे हैं. सोचें कि, क्या ऐसा करके लोग अपने जीवन को खतरे में नहीं डाल रहे?
फर्जी वैक्सीन सर्टिफिकेट बनाने वालों को तुरंत पकड़ना चाहिए और उन पर सुनियोजित हत्या का केस चलाना चाहिए. ऐसा न करके हम खुद ही उपहास का पात्र बन जाएंगे. अभी कोविन ऐप या ऐसे ही किसी ऐप के जरिए वैक्सीन लगवा चुके लोगों को रजिस्टर किया जा रहा है. इन ऐप में इतनी क्षमता होनी चाहिए कि ऐसे फर्जीवाड़े को डिटेक्ट किया जा सके. इसके लिए हमें अपने प्रतिभाशाली आईटी पेशवरों का इस्तेमाल करना चाहिए.
मैं नहीं जानता कि फर्जीवाड़े की इस खबर में कितनी सच्चाई है, लेकिन जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाया उन्हें भी वैक्सीनेशन पूरा होने के मैसेज आ रहे हैं. हो सकता है यह केवल एक तकनीकी खामी हो, लेकिन सुरक्षा की झूठी भावना के एवज में पैसा ऐंठने का काम बेहद शर्मनाक है. यहां हमें ईमानदारी दिखाना होगा और केवल सिस्टम को दोष देना बंद करना होगा. दूसरों पर उंगली उठाने के बजाए, हमें पहले अपने घर को साफ करना होगा.
इस वक्त ब्रिटेन जाना एक बुरे सपने जैसा
यदि आप भी ब्रिटेन के रवैये से नाराज हैं, तो आप यह जान लें कि इस समय वैसे भी ब्रिटेन जाना, एक बुरा सपना साबित हो सकता है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक अखबार के मुताबिक, जिन भारतीय लोगों को कोविशील्ड लगी है और वे यदि ब्रिटेन जाते हैं तो उन्हें इंग्लैंड जाने के तीन दिन पहले कोविड टेस्ट कराना होगा, इसके अलावा वहां पहुंचने के आठवें दिन फिर से टेस्ट होगा और 10 दिनों के लिए होम क्वॉरंटीन रहना होगा.
हालांकि, आप समय से पहले क्वॉरंटीन को पूरा कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए 'टेस्ट टू रिलीज' स्कीम के तहत पैसे देकर प्राइवेट कोविड टेस्ट कराना होगा. जैसे, आप अगर सोमवार को इंग्लैंड पहुंचते हैं, तो पूरा मंगलवार आपके लिए क्वॉरंटीन का दिन होगा, इसके बाद पांच दिन से पहले आप दोबारा टेस्ट नहीं करा सकते, जो कि शनिवार होगा. लेकिन इस टेस्ट में नेगेटिव पाए जाने पर आपका क्वॉरंटीन खत्म हो सकता है, हालांकि आठवें दिन आपको अनिवार्य रूप से फिर टेस्ट करवाना होगा.


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