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- अपने पिटारे में से...
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक महत्वपूर्ण बजट पेश किया। इस बजट में सरकार की मंशा एकदम स्पष्ट है। वह यह कि मोदी सरकार न केवल कोविड-19 के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई करना, बल्कि आने वाले वर्षों में तेज आर्थिक वृद्धि के लिए भी आधार तैयार करना चाहती है। आधुनिक विश्व में अमेरिका से लेकर यूरोप और हाल में चीन तक किसी के भी आर्थिक कायाकल्प की पटकथा बुनियादी ढांचे के विकास पर ही केंद्रित रही है। इसी दिशा में आगामी वित्त वर्ष के बजट में बुनियादी ढांचा और सामाजिक क्षेत्र एवं सेहत पर बहुत ध्यान दिया गया है। इसमें स्वास्थ्य, आवास, शिक्षा एवं स्वच्छता के लिए उदारतापूर्वक आवंटन के साथ ही नई नीति, संस्थागत ढांचे और आर्थिक रियायतों पर भी जोर दिया गया है। इसके नतीजे न केवल बुनियादी ढांचे में सुधार, बल्कि बेहतर गुणवत्ता के रूप में सामने आएंगे। बुनियादी ढांचे और संपदा सृजन में भारी निवेश के साथ-साथ उचित नीतियों के साथ उन्हें अमल में लाने की कार्ययोजना, उत्पादकता में बढ़ोतरी करना, राजनीतिक जोखिम घटाना और बाजार से वित्तीय संसाधनों को जुटाने का खाका भी खींचा गया है। वास्तव में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए वित्तीय राह बंद होना एक बड़ा जोखिम रहा है और कई अच्छी परियोजनाएं इसी कारण दफन होकर रह गई हैं।