सम्पादकीय

अपने पिटारे में से वित्त मंत्री ने सिर्फ लोगों के हाथ में नकदी देने और करों में रियायतों को छोड़कर बाकी सभी सौगात देने का किया काम

Gulabi
4 Feb 2021 4:00 PM GMT
अपने पिटारे में से वित्त मंत्री ने सिर्फ लोगों के हाथ में नकदी देने और करों में रियायतों को छोड़कर बाकी सभी सौगात देने का किया काम
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सरकार अब कारोबारी क्षेत्र में अधिक सक्रिय नहीं रहेगी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक महत्वपूर्ण बजट पेश किया। इस बजट में सरकार की मंशा एकदम स्पष्ट है। वह यह कि मोदी सरकार न केवल कोविड-19 के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई करना, बल्कि आने वाले वर्षों में तेज आर्थिक वृद्धि के लिए भी आधार तैयार करना चाहती है। आधुनिक विश्व में अमेरिका से लेकर यूरोप और हाल में चीन तक किसी के भी आर्थिक कायाकल्प की पटकथा बुनियादी ढांचे के विकास पर ही केंद्रित रही है। इसी दिशा में आगामी वित्त वर्ष के बजट में बुनियादी ढांचा और सामाजिक क्षेत्र एवं सेहत पर बहुत ध्यान दिया गया है। इसमें स्वास्थ्य, आवास, शिक्षा एवं स्वच्छता के लिए उदारतापूर्वक आवंटन के साथ ही नई नीति, संस्थागत ढांचे और आर्थिक रियायतों पर भी जोर दिया गया है। इसके नतीजे न केवल बुनियादी ढांचे में सुधार, बल्कि बेहतर गुणवत्ता के रूप में सामने आएंगे। बुनियादी ढांचे और संपदा सृजन में भारी निवेश के साथ-साथ उचित नीतियों के साथ उन्हें अमल में लाने की कार्ययोजना, उत्पादकता में बढ़ोतरी करना, राजनीतिक जोखिम घटाना और बाजार से वित्तीय संसाधनों को जुटाने का खाका भी खींचा गया है। वास्तव में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए वित्तीय राह बंद होना एक बड़ा जोखिम रहा है और कई अच्छी परियोजनाएं इसी कारण दफन होकर रह गई हैं।

...ताकि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए वित्तीय संसाधनों की कमी न रहे

बजट में सड़क, रेल, हवाई अड्डे, बंदरगाह और बिजली आदि जैसे बुनियादी ढांचे से जुड़े सभी अहम पहलुओं पर ध्यान देने के अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंसिंग इंस्टीट्यूशंस के गठन जैसे कई कदम उठाने का प्रस्ताव है ताकि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए वित्तीय संसाधनों की कमी न रहे और एक गतिशील डेब्ट मार्केट की राह भी खुले। सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों, गैस पाइपलाइन, बिजली वितरण लाइन और जमीनों को भुनाकर वित्तीय संसाधन जुटाने का दांव चला है। इसमें रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट जैसी नई पहल और रणनीतिक विनिवेश जैसी रणनीति अपनाई जाएगी। यह नीति और प्रस्तावित राह तमाम नई परिसंपत्तियों के सृजन और ऊंची आर्थिक वृद्धि में सहायक होगी। बजट में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निजी क्षेत्र और लोगों के पास उपलब्ध संसाधनों में कमी न आए और साथ ही कोई गलत धारणा भी न बने।
पिछड़े विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए बजट में कई घोषणाएं हुई

भारत का विनिर्माण क्षेत्र दशकों से पिछड़ा हुआ है। मोदी सरकार द्वारा 'मेक इन इंडिया' जैसी बड़ी पहल के बावजूद स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं है। इस दिशा में रचनात्मक नीतियों के तहत बजट से कुछ समय पहले उत्पादकता से संबद्ध प्रोत्साहन यानी पीएलआइ जैसी योजनाएं पेश की गई हैं। उसी सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए इस बजट में कई व्यावहारिक घोषणाएं हुई हैं। जैसे कि देश में सात टेक्सटाइल पार्कों की स्थापना का प्रस्ताव बजट में किया गया है। आखिरकार विनिर्माण क्षेत्र में सुधार के अच्छे संकेत दिखने लगे हैं।
बजट में शोध को प्रोत्साहन

बजट में भविष्य की ओर भी भरपूर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसी दिशा में शोध को प्रोत्साहन देने के लिए अगले पांच वर्षों के दौरान शोध एवं विकास को समर्पित 50,000 करोड़ रुपये का कोष स्थापित किया गया है। यह भारत के लिए भविष्य की बौद्धिक संपदा विकसित करने में सहायक होगा। इसी प्रकार स्टार्टअप्स यानी नवउद्यमों के लिए भी कई प्रकार के प्रोत्साहन दिए गए हैं जिससे भारत की युवा और मेधा शक्ति का समुचित उपयोग संभव हो सकेगा। आवास क्षेत्र भी वित्त मंत्री की प्राथमिकता में रहा। इससे देश में रोजगार मुहैया कराने वाले दूसरे सबसे बड़े क्षेत्र कंस्ट्रक्शन उद्योग को बड़ी मदद मिलेगी। भौतिक-सामाजिक ढांचे और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त आवंटन का लक्ष्य बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन करना ही है। वहीं कौशल और स्वास्थ्य के लिए अधिक संसाधनों से उत्पादकता में वृद्धि होगी। आवास क्षेत्र को प्रोत्साहन के साथ ही राशन के लिए 'एक देश एक कार्ड' जैसी व्यवस्था से लोगों विशेषकर विस्थापित मजदूरों का जीवन और सुगम होगा।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार के लिए बजट में हुईं कई घोषणाएं

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार के लिए उल्लिखित नीतियों का मकसद उद्यमिता, प्रतिस्पर्धा और विश्वास के भाव को बढ़ाना है। इससे न केवल भारतीय, बल्कि विदेशी उद्यमियों का उत्साह भी बढ़ेगा। भारत ने अपने लिए वैश्विक आपूर्ति शृंखला का अहम किरदार बनने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है। बजट उन तमाम घोषणाओं को और सशक्त करता है जो उससे पहले ही वैश्विक मापदंडों से ताल मिलाने के लिए की गई हैं। इससे भारत में बड़े घरेलू बाजार को देखते हुए विदेशी कंपनियों द्वारा देश पर ऊंचा दांव लगाने की संभावनाएं खासी बढ़ गई हैं।
सरकार अब कारोबारी क्षेत्र में अधिक सक्रिय नहीं रहेगी

सरकार ने यह संकेत भी दिए हैं कि वह कारोबार के मोर्चे पर अपनी भूमिका सीमित करते हुए मुख्य रूप से शासन पर ही ध्यान केंद्रित करेगी। रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, बैंकिंग और बीमा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों से इतर सरकार अब कारोबारी क्षेत्र में अधिक सक्रिय नहीं रहेगी। यहां तक कि इन क्षेत्रों में भी उसने अपने लिए एक लक्ष्मण रेखा खींच ली है। शेयर बाजार में तमाम कानूनों को सुसंगत बनाने और न्यायिक प्रणाली में सुधार के साथ सभी हितधारकों के लिए संतुष्टि का बेहतर भाव सुनिश्चित होगा।

सौगात के बजाय रोजगार देना समझदारी भरा कदम

अपने पिटारे में से वित्त मंत्री ने सिर्फ लोगों के हाथ में नकदी देने और करों में रियायतों को छोड़कर बाकी सभी सौगात देने का काम किया है। संभव है कि नकदी हस्तांतरण से तात्कालिक आधार पर उपभोग में बढ़ोतरी होती। चूंकि सरकारी खजाने की सीमित गुंजाइश को देखते हुए एकबारगी सौगात के बजाय रोजगार के रूप में निरंतर आधार पर राहत देना कहीं समझदारी भरा कदम है। वास्तव में सरकार ने अपने खर्च में भारी इजाफे का कदम उठाया है, जिससे जीडीपी वृद्धि को गति मिलने के साथ ही उपभोग को भी बढ़ावा मिलेगा। वहीं खर्च के लिए राजकोषीय अनुशासन के दायरे में कर्ज लेना मुद्रास्फीति के सिर उठाने की आशंका को रोकने का काम करेगा।

बजट की सफलता प्रभावी क्रियान्वयन में ही निहित होगी

किसी बजट से इससे अधिक अपेक्षाएं नहीं रखी जा सकतीं। हालांकि इसकी सफलता प्रभावी क्रियान्वयन में ही निहित होगी। भले ही मोदी सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड भरोसा जगाने वाला हो, पर नौकरशाही के मोर्चे पर उलझाऊ पेच अभी और सुलझाने होंगे। साथ ही आधुनिक एवं समृद्ध भारत बनाने में सरकार की भली मंशा की राह में भी अड़ंगे नहीं लगाने होंगे। कुल मिलाकर वित्त मंत्री ने शानदार काम किया है।


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