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Written by जनसत्ता: दरअसल, भारत के संदर्भ में एक ही प्रकृति की बात करने का पाकिस्तान आदी हो चुका है, जिसमें गलत अवसर पर और बिना वजह के भी निराधार बोलने में उसे कोई हिचक नहीं होती, भले ही ऐसा करने के लिए उसे हंसी का पात्र क्यों न बनना पड़े!
फिलहाल दुनिया के तमाम देश रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर चिंता जता रहे हैं और उसे रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र में लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसी क्रम में बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के कुछ शहरों पर रूस के कब्जे से उपजे हालात पर बहस हो रही थी। लेकिन इसमें मतदान के दौरान पाकिस्तान ने एक बार फिर यूक्रेन का संदर्भ देते हुए कश्मीर का मुद्दा उठा दिया।
जाहिर है, विश्व स्तर पर संबंधित मंचों के जरिए यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को रोकना प्राथमिकता में है और पाकिस्तान इसे अपने लिए सुविधा के मौके के तौर पर इस्तेमाल करने कोशिश कर रहा है। स्वाभाविक ही भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की और इसे पाकिस्तान का बेसिर-पैर वाला बयान बताते हुए करारा जवाब दिया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की ओर से सख्त लहजे में कहा गया कि हम यह पहले भी देख चुके हैं और उसी कड़ी में एक बार फिर पाकिस्तान की तरफ से इस वैश्विक मंच का दुरुपयोग किया गया और भारत के खिलाफ निराधार टिप्पणी करने की कोशिश की गई।
यों भारत की ओर से स्थिति फिर स्पष्ट करते हुए कहा गया कि जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है और रहेगा, लेकिन यह समझना मुश्किल है कि इस तरह की स्पष्टता और ठोस हकीकत के बावजूद पाकिस्तान बेवक्त और बिना आधार के मुद्दों पर भारत पर अंगुली उठाने की आदत का शिकार क्यों हो गया है। इस मौके पर भारत के सामने भी यह कहने की जरूरत पैदा हो गई कि हम पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को रोकने का आह्वान करते हैं, ताकि हमारे नागरिक सुकून से रह सकें।
एक प्रश्न नैतिकता का भी बनता है कि जिस वक्त संयुक्त राष्ट्र रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध और उसके बिगड़ते स्वरूप पर चिंता जता रहा है, उस वक्त पाकिस्तान को अपने बेबुनियाद सवाल रखने का साहस कहां से मिलता है! दरअसल, पाकिस्तान अब इस बात का प्रतीक बनता जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अगर व्यापक दृष्टि के साथ किसी मसले पर बहस करने सलाहियत नहीं है तो बिना वजह भी भारत पर अंगुली उठा दिया जाए, ताकि वहां उसे केंद्र में आने का मौका मिल सके।
यह जगजाहिर है कि जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक-राजनीतिक स्थिति, यानी इसके भारत का हिस्सा होने का तथ्य बिल्कुल स्पष्ट होने के बावजूद पाकिस्तान लगातार इसे विवादित बनाने की कोशिश में लगा रहता है। हालांकि उसे आज तक इस संबंध में कोई कामयाबी नहीं मिली और अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी फजीहत होती रहती है। मगर वह बाज नहीं आता। सवाल यह भी है कि पाकिस्तान की ताजा हरकत कहीं बेहद संवेदनशील बहस को सचेतन भटकाने का प्रयास तो नहीं है! मगर वह ऐसा सोचता है, तो यह उसकी समझदारी नहीं कही जा सकती।