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- हमारा 'प्यारा'...
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जब यह कहा था कि कोई भी राष्ट्र इसके लोगों की जीवटता से बनता है और इसकी मजबूती ऊंची-ऊंची अट्टालिकाओं या विशाल सेनाओं से तय नहीं होती बल्कि इसके लोगों की संकट से निपटने की दृढ़ इच्छा शक्ति से तय होती है तो बापू के सामने निश्चित रूप से ही अग्रेजों के समय में बदहाल बनाये गये भारत की तस्वीर थी। बापू जानते थे कि यदि भारत के लोग स्वयं में हर दृष्टि से विकसित होंगे तो यह देश स्वयं मजबूत बन जायेगा। आज आजादी के 74 साल बाद हम यही नजारा देख रहे हैं कि भारत ने 1947 से लेकर अब तक का जो सफर तय किया है वह चारों दिशाओं में तरक्की करने का है। हर दौर में भारत ने विकास का चरण बढ़ाते हुए यह स्थिति प्राप्त की है कि अंतरिक्ष से लेकर भू विज्ञान तक के क्षेत्र में इसका लोहा दुनिया ने माना है परन्तु यह उपलब्धि प्राप्त करने में भारत के संविधान का मूल योगदान रहा है जिसने इस देश के लोगों को लोकतान्त्रिक व्यवस्था देकर यह तय किया कि भारत का आधारभूत सिद्धान्त 'मानवता' रहेगी और इसी को केन्द्रित करके इसमें रहने वाले लोगों को बिना किसी भेदभाव के अधिकार सम्पन्न किया जायेगा।