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![अंतरिक्ष के प्रति अपार है हमारी जिज्ञासा; एक कल्पना से ही होता है सारी वैज्ञानिक खोज का प्रारंभ अंतरिक्ष के प्रति अपार है हमारी जिज्ञासा; एक कल्पना से ही होता है सारी वैज्ञानिक खोज का प्रारंभ](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/01/21/1469121-w.webp)
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गौरतलब है कि शराब के व्यापारी विजय माल्या ने भारत में करोड़ों रुपए का घपला किया और लंदन भाग गया
जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:
गौरतलब है कि शराब के व्यापारी विजय माल्या ने भारत में करोड़ों रुपए का घपला किया और लंदन भाग गया। व्यवस्था ने उसकी गिरफ्तारी और भारत वापसी के अथक प्रयास किए। ज्ञातव्य है कि भारत सरकार के दबाव से लंदन में वहां की सरकार माल्या की संपत्ति जब्त कर रही है। ताजा खबर है कि माल्या का लंदन स्थित घर विलासिता से परिपूर्ण है। उसके पड़ोस में आर्थर कॉनन डॉयल का भव्य बंगला है।
गौरतलब है कि डॉयल ने अत्यंत लोकप्रिय जासूसी उपन्यास लिखा है। उनके काल्पनिक जासूस पात्र शरलॉक होम्स की निगाह से कुछ नहीं बचता था। शरलॉक बहुत जल्दी अपराधी को गिरफ्तार करके प्रमाण प्रस्तुत कर देते थे। किसी भी घटना के बारे में जानकारी जुटाने की अपनी इस प्रक्रिया को वे थ्योरी ऑफ डिटेक्शन कहते हैं। उनके सहायक का नाम वॉटसन था जो आर्थर के व्यक्तित्व की प्रेरणा से रचा गया था।
उपन्यास में उनका पता दिया गया था 'टेन बेकर स्ट्रीट'। उपन्यासों को हकीकत मान लेने वाले अपने कष्ट का विवरण लिखकर इस पते पर भेजा करते थे। पते पर पत्रों का अंबार लग जाता था। डाक विभाग ने आर्थर से प्रार्थना की कि वे कोई काल्पनिक पते का इस्तेमाल करें। शरलॉक होम्स प्राय: इस विधि पर अपना काम करते थे कि यह नहीं हो सकता और यह भी नहीं हो सकता तो फिर सत्य क्या है?
इस प्रक्रिया को बार-बार इस्तेमाल करने से सत्य तक पहुंचा जा सकता था। जब शरलॉक होम्स की लोकप्रियता सारी हदें पार गईं तब लेखक आर्थर ने उपन्यास में अपने काल्पनिक पात्र की मृत्यु बता दी कि एक अपराधी से लड़ते हुए अपराधी सहित वो घाटी में गिर गए। पाठकों द्वारा शरलॉक होम्स की मृत्यु का जमकर विरोध हुआ। मजबूर होकर आर्थर को अगले उपन्यास में यह लिखना पड़ा कि शरलॉक होम्स घाटी से गिरे तो एक घने वृक्ष की डालियों में बेहोश पाए गए। इस तरह शरलॉक होम्स की वापसी रची गई।
कभी-कभी काल्पनिक पात्र को यथार्थ मान लिया जाता है। हम कल्पना में अधिक समय बिताते हैं और यथार्थ में कम। यह भी कहा गया कि 'द वर्ल्ड इज एन आर्टिफैक्ट ऑफ ह्यूमन इमेजिनेशन।' अंतरिक्ष के प्रति हमारी जिज्ञासा अपार है। सारी वैज्ञानिक खोज का प्रारंभ एक कल्पना से ही होता है। प्रयोग द्वारा बार-बार कल्पना के सत्य सिद्ध होने पर उसे स्वीकार कर लिया जाता है। जासूसी उपन्यास का जन्म अंग्रेजों के उपनिवेशवाद में हुआ। मानवीय करुणा के चितेरे हमारे सत्यजीत राय ने भी जासूसी कहानियां लिखी हैं।
उनका रचा पात्र ' गुप्तचर फेलुदा' भी हकीकत मान लिया गया था। मान लें कि आर्थर कॉनन डॉयल के कालखंड में माल्या होते तो माल्या अब तक शीघ्र भारत लाए जाते। माल्या की गिरफ्तारी में लाखों रुपए खर्च हुए हैं। अवाम के मूर्ख बनने की ललक के कारण ही सारी घपलेबाजी होती है। व्यवस्था की छलनी में बड़े-बड़े सुराग हैं। पंछी के उड़ने के बाद जाल बिछाया जाता है, पंछी पिंजरा लेकर भाग जाए तो क्या करें?
कभी-कभी दस्ताना ही खंजर बन जाता है। अंग्रेजी भाषा में सर आर्थर की तरह अगाथा क्रिस्टी भी हुई हैं। उनकी जासूस पात्र मिस मार्पल हैं। उन्होंने अपने सहायक पात्र का नाम हरक्यूल पायरो दिया है, जो बेल्जियम का निवासी है और अपने हीरों के लिए प्रसिद्ध है। अगाथा कहती थीं कि उनके सहायक पायरो की मूछ इतनी शक्तिशाली है कि हीरों को काट सकती है। इब्ने सफी ने भी जासूसी कथाएं लिखी हैं।
उनका जासूस कैप्टन विनोद और उसका सहायक हमीद है। हमीद का पालतू प्राणी एक गधा है। यह गधा ही कई बार अपराधी को पकड़ने में सहायक होता है। कृश्न चन्दर के उपन्यास का नाम है 'एक गधे की आत्मकथा'। शरद जोशी ने भी एक गधे पात्र का आकल्पन किया था। कहते हैं कि अपराध से इतना धन नहीं अर्जित किया जाता, जितना अपराध कथाओं के लिखने से मिलता है। बाबू देवकीनंदन खत्री जासूसी उपन्यासों के जनक रहे हैं।
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