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मानवीय पहल की तरफ बढ़े केंद्र-हरियाणा: दिल्ली की केजरीवाल सरकार व मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने सबसे पहले कोरोना संकट में अनाथ बच्चों को संरक्षण देने की सार्थक पहल की शुरुआत की। उसके बाद शीर्ष अदालत ने बीते शुक्रवार को ऐसे बच्चों के संरक्षण के लिये केंद्र व राज्य सरकारों को पहल करने को कहा था। निस्संदेह, यह कोरोना त्रासदी का दुखद पहलू है कि बड़ी संख्या में बच्चों को मां-बाप को खोना पड़ा है। उनके जीवन का संघर्ष बहुत बड़ा हो गया है। जहां उनका असामाजिक तत्वों से संरक्षण जरूरी है, वहीं भविष्य को निरापद बनाना भी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे बच्चों के हित में सार्थक पहल की, जो वक्त की दरकार भी है। प्रधानमंत्री ने उसी पीएम केयर फंड से यह पहल की, जो विपक्ष खासकर कांग्रेस के निशाने पर रहा है। पीएम केयर फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत अनाथ हुए बच्चों के लिये दस लाख की एफडी होगी और पांच लाख का बीमा आयुष्मान भारत योजना के तहत किया जायेगा। ऐसे बच्चे जो दस वर्ष से कम आयु के हैं, उनका दाखिला नजदीकी केंद्रीय विद्यालय व निजी स्कूलों में कराया जायेगा। उनकी फीस, ड्रेस व किताबों आदि का खर्चा इसी फंड से वहन किया जायेगा। वहीं ग्यारह से 18 वर्ष के बीच के बच्चों का दाखिला आवासीय सुविधा वाले नवोदय विद्यालय तथा सैनिक स्कूलों में कराया जायेगा। इन बच्चों को 18 साल के बाद पांच सालों तक मासिक सहयोग मिलेगा तथा 23 साल की उम्र में एफडी की राशि दी जायेगी।