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- विपक्षी एकता की कवायद
शिवसेना सांसद संजय राउत ने एक बार फिर कहा है कि विपक्षी दलों का एक मजबूत मोर्चा वक्त की जरूरत है। यह बात पहले से कही जा रही थी कि पांच राज्यों में चुनाव के नतीजे 'अच्छे' रहे तो विपक्षी दलों को नए सिरे से संगठित करने की कोशिश हो सकती है। खास तौर पर पश्चिम बंगाल में बीजेपी की उम्मीदों को झटका देते हुए ममता बनर्जी ने जो अप्रत्याशित जीत दर्ज की, उससे विपक्ष का हौसला बढ़ा है। हालांकि राउत ने जो कहा है, उससे यह बात तय हो गई है कि इस संभावित विपक्षी मोर्चे की नेता के तौर पर ममता बनर्जी का नाम तय मानकर नहीं चला जा सकता। राउत पहले इसके लिए एनसीपी के शरद पवार का नाम ले चुके हैं। इस बार उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन कुछ ऐसा भी नहीं कहा, जिससे लगे कि उनकी पार्टी अपनी इस राय से पीछे हटी है। दूसरी तरफ कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने यह तो माना कि बीजेपी विरोधी राजनीति की अग्रिम पंक्ति में ममता बनर्जी अपनी जगह पक्की कर चुकी हैं, लेकिन उन्होंने भी साफ किया कि विपक्षी मोर्चे का नेता कौन होगा, जैसे सवाल अभी नहीं उठाने चाहिए। सिंघवी ने एक बड़ा संकेत यह दिया है कि इस मोर्चे में कांग्रेस 'सपोर्टिंग रोल' के लिए तैयार है।