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जिनसे आयात घट सकें, निर्यात बढ़ सकें और विदेश व्यापार भारत के अधिकतम अनुकूल हो सके।
इस समय जब एक ओर 31 मई को जारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में 8.7 फीसदी विकास दर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गई है, भारत पूरी दुनिया में एक भरोसेमंद वैश्विक व्यापार साझेदार देश के रूप में उभरता दिखाई दे रहा है। ऐसे में भारत के लिए विदेश व्यापार के अनुकूल परिदृश्य के पांच महत्वपूर्ण पहलू निर्मित हुए हैं। एक, अमेरिका के साथ विदेश व्यापार तेजी से बढ़ रहा है और अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बन गया है।
दो, दुनिया के प्रमुख देशों के साथ भारत के कारोबार समझौतों की डगर आगे बढ़ रही है। तीन, भारत के द्वारा 'एक्ट ईस्ट' और 'नेबर फर्स्ट' के तहत व्यापार का नया अध्याय लिखा जा रहा है। चार, देश के विदेश व्यापार में कृषि कारोबार की अहमियत बढ़ गई है। पांच, 13 मई को गठित हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) में भारत के शामिल होने से भारत के लिए विदेशी नए व्यापार के व्यापक मौके बढ़ेंगे। गौरतलब है कि अमेरिका के साथ भारत का विदेश व्यापार तेजी से बढ़ रहा है।
हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 29 मई को प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में अमेरिका और भारत के बीच 119.42 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जो 2020-21 में 80.51 अरब डॉलर था। अमेरिका उन गिने-चुने देशों में है, जिनके साथ भारत व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) की स्थिति में है और अब अमेरिका चीन को पीछे करते हुए भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया है। हालांकि चीन का कहना है कि वह अब भी भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बना हुआ है।
वास्तव में चीन से व्यापार घाटा बढ़ना चुनौती है, वहीं अमेरिका से व्यापार अधिक्य लाभप्रद है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अमेरिका और चीन के बाद यूएई, सऊदी अरब, इराक और सिंगापुर भारत के अन्य बढ़े व्यापार साझेदार देश हैं। देश के इतिहास में पहली बार पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में देश से करीब 419 अरब डॉलर से अधिक मूल्य का उत्पाद निर्यात हुआ है। यह बढ़ते हुए विदेश व्यापार का परिचायक है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि कोविड-19 और यूक्रेन संकट के बीच भी दुनिया के प्रमुख देशों के साथ भारत का विदेश व्यापार बढ़ रहा है।
हाल ही में 24 मई को अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के रणनीतिक मंच क्वाड के दूसरे शिखर सम्मेलन में चारों देशों ने जिस समन्वित शक्ति का शंखनाद किया है और बुनियादी ढांचे पर 50 अरब डॉलर से अधिक रकम लगाने का वादा किया है, उससे क्वाड भारत के उद्योग-कारोबार के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इसके अलावा हाल ही के वर्षों में जी-7 और जी-20 देशों के साथ भारत के व्यापार संबंधों और इसी वर्ष यूरोपीय देशों के साथ किए गए नए आर्थिक समझौतों के क्रियान्वयन से भारत का विदेश व्यापार बढ़ेगा।
यही नहीं, भारत ने बहुत कम समय में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को मूर्त रूप दिया है। इस समय भारत के द्वारा एक्ट ईस्ट और नेबर फर्स्ट नीति के साथ आर्थिक और कारोबारी संबंधों का नया अध्याय लिखा जा रहा है। 16 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी में नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के साथ बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाने, शिक्षा क्षेत्र में सहयोग एवं पनबिजली क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाओं को लेकर छह समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
इसी तरह पिछले माह 12 मई को रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के साथ तेजी से आर्थिक सहयोग बढ़ाने के संकेत दिए हैं। वर्तमान वैश्विक हालात में भारत विदेश व्यापार के लिए ऐसे सही कदम उठाकर विदेश व्यापार के टिकाऊ उच्च विकास के अवसरों का लाभ उठा सकता है। उम्मीद कर सकते हैं कि आत्मनिर्भर भारत अभियान और मेक इन इंडिया के तहत ऐसी वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाया जाएगा, जिनसे आयात घट सकें, निर्यात बढ़ सकें और विदेश व्यापार भारत के अधिकतम अनुकूल हो सके।
सोर्स: अमर उजाला
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